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UP : गर्भवती होने पर महिला सिपाहियों को बीच में छोड़नी होगी ट्रेनिंग, सरकार ने बनाए ये सख्त नियम!
UP : उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में भर्ती हुई महिला सिपाहियों के लिए सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसे लेकर राज्य भर में चर्चा तेज हो गई है। आदेश के मुताबिक यदि कोई महिला सिपाही ट्रेनिंग के दौरान गर्भवती हो जाती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से ट्रेनिंग से हटा दिया जाएगा और उसकी ट्रेनिंग स्थगित कर दी जाएगी। इसके साथ ही गर्भपात से जुड़ी कुछ शर्तों और निर्देशों को भी स्पष्ट किया गया है। यह नियम उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी किया गया है, जो कि राज्य की विभिन्न पुलिस अकादमियों और प्रशिक्षण केंद्रों पर लागू होगा।

UP : क्या है नया आदेश?

सरकारी आदेश के अनुसार, यदि कोई महिला रिक्रूट ट्रेनिंग के दौरान गर्भवती पाई जाती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से ट्रेनिंग से ब्रेक लेना पड़ेगा। इस दौरान महिला को ट्रेनिंग से अलग कर दिया जाएगा और उसकी ट्रेनिंग एक वर्ष के लिए स्थगित मानी जाएगी। इसका मतलब ये है कि वह महिला अगले बैच के साथ अपनी ट्रेनिंग दोबारा शुरू कर सकेगी, लेकिन उसे उसी जगह से शुरू करना होगा जहां से उसने छोड़ा था। UP

UP : गर्भपात से जुड़ा नियम

सबसे विवादास्पद हिस्सा इस आदेश का वह खंड है, जिसमें गर्भपात कराने वाली महिला सिपाही को लेकर प्रावधान जोड़ा गया है। यदि कोई महिला प्रशिक्षु ट्रेनिंग के दौरान गर्भवती होती है और फिर गर्भपात कराती है, तो उसे मेडिकल रिपोर्ट और सर्टिफिकेट के आधार पर पुनः ट्रेनिंग में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि इसके लिए उसे संबंधित चिकित्सा बोर्ड से यह प्रमाणपत्र लाना होगा कि वह अब पूरी तरह स्वस्थ है और फिजिकल ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए सक्षम है। बिना मेडिकल फिटनेस के उसे ट्रेनिंग में दोबारा शामिल नहीं किया जाएगा।

UP : क्यों लाया गया ये नियम?

पुलिस विभाग का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान फिजिकल एक्टिविटी का स्तर बहुत अधिक होता है, जिसमें दौड़, हथियार संचालन, अनुशासनात्मक अभ्यास और मानसिक रूप से कठोर सत्र शामिल होते हैं। ऐसे में गर्भवती महिला के लिए ये गतिविधियां स्वास्थ्य पर खतरा बन सकती हैं – ना सिर्फ उसके लिए बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी। दूसरी ओर, प्रशासनिक पक्ष का तर्क है कि ट्रेनिंग की गुणवत्ता और निरंतरता को बनाए रखने के लिए यह फैसला जरूरी है, ताकि सभी प्रशिक्षुओं को समान स्तर पर तैयार किया जा सके।

UP : महिला सिपाहियों की प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद कई महिला प्रशिक्षुओं ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने इसे व्यावहारिक और स्वास्थ्य के लिहाज से जरूरी बताया है, तो वहीं कुछ महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे लिंग भेदभाव की ओर इशारा माना है। उनका कहना है कि पुरुष प्रशिक्षुओं के लिए इस तरह के प्रतिबंध नहीं हैं, जबकि महिला सिपाहियों के लिए इस तरह के व्यक्तिगत जीवन के निर्णयों को ट्रेनिंग से जोड़ना उचित नहीं है। UP

UP : क्या पहले भी था ऐसा नियम?

गर्भावस्था को लेकर नियम पहले भी मौजूद थे, लेकिन उन्हें इतनी स्पष्टता और सख्ती के साथ लागू नहीं किया गया था। अब विभाग ने इसे लिखित रूप में निर्देशों के साथ लागू किया है, ताकि किसी भी स्थिति में भ्रम की स्थिति ना बने और प्रशासनिक निर्णयों में पारदर्शिता बनी रहे।

UP : मानवाधिकार और संवेदनशीलता पर सवाल

इस पूरे मामले पर कुछ मानवाधिकार संगठनों और महिला आयोगों ने सरकार से यह मांग की है कि इस तरह के आदेशों में संवेदनशीलता बरती जाए। गर्भधारण जैसे निर्णय महिला का व्यक्तिगत अधिकार है, और नौकरी या ट्रेनिंग में ऐसा कोई कानून नहीं होना चाहिए जिससे वह मानसिक तनाव में आ जाए या उसे करियर को लेकर दोबारा सोचना पड़े। उत्तर प्रदेश में महिला सिपाहियों की ट्रेनिंग को लेकर जो नया आदेश आया है, वह स्वास्थ्य, प्रशासनिक दक्षता और प्रशिक्षण की गुणवत्ता के नजरिए से तर्कसंगत बताया जा रहा है। लेकिन इसका सामाजिक और व्यक्तिगत प्रभाव भी गहरा है। सरकार और पुलिस प्रशासन को इस मामले में लचीलापन और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि महिला सशक्तिकरण की दिशा में कोई बाधा न आए और महिलाएं सुरक्षा बलों में बिना डर और भेदभाव के शामिल हो सकें। Also Read : UP : जल्द पूर्ण हों आयुष विश्वविद्यालय के सभी कार्य, सीएम योगी ने दिए निर्देश!

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