मामला उज्जैन के एक हॉस्पिटल का है। संजना आंजना पति सुनील आंजना जो आठ माह की गर्भवती हैं, इलाज के लिए डॉ सपना बुनदीवाल के पास गए थे किंतु उनके बाहर होने की वजह से वे जेके हॉस्पिटल चले गए। जब वे हॉस्पिटल पहुंचे तो उन्होंने संजना की सोनोग्राफी करवाने के लिए भेजा।
सोनोग्राफी के आधार पर उन्होंने बताया कि बच्चे की धड़कन कम चल रही है जिस कारण संजना का तत्काल ऑपरेशन करके डिलीवरी करानी पड़ेगी। बच्चे की धड़कन कम चल रही है बच्चे की जान को खतरा है ये सब बोलकर इस प्रकार उन्हें इतना भयभीत कर दिया गया और ऑपरेशन की तैयारी कर ली गई।
किंतु परिजनों की सूझ-बूझ के चलते उनकी यह कोशिश नाकामयाब रही और परिजनों द्वारा बोला गया कि हम पुनः कलर डॉपलर सोनोग्राफी करवाना चाहते हैं उसके बाद जैसी स्थिति बनेंगी उस हिसाब से हम निर्णय लेंगे और जब परिजनों द्वारा कलर डॉपलर सोनोग्राफी करवाई गई तो उसमें बच्चे की धड़कन सामान्य पाई गई और किसी प्रकार का कोई खतरा बच्चे की जान का खतरा नहीं पाया गया।
इस मामले में अगर परिजन अपनी सूझ-बूझ नहीं दिखाते तो शायद जेके हॉस्पिटल के अधिकारी अपनी करतूत को अंजाम दे देते और 8 माह में ही सीजर करके डिलीवरी करवा देते। अब देखना होगा कि प्रशासन इस हॉस्पिटल के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है या फिर गुरु नानक हॉस्पिटल की तरह कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली जाएगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
उज्जैन से गोपाल अंजना की रिपोर्ट