News : उत्तराखंड में भूस्खलन से 133 सड़कें बंद, अब तक 22 की मौत, येलो अलर्ट जारी!
News : देवभूमि उत्तराखंड इन दिनों भीषण मॉनसून संकट से जूझ रही है। पहाड़ी जिलों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और उसके बाद हुए भूस्खलन ने राज्य के सामान्य जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है।
मौसम विभाग ने बारिश की वर्तमान तीव्रता को देखते हुए राजधानी देहरादून, नैनीताल, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग जैसे महत्वपूर्ण जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, और अगले कुछ दिनों तक भी भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
News : जान-माल का भारी नुकसान
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से अब तक मॉनसून से संबंधित विभिन्न हादसों में 22 लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है, जबकि 11 लोग घायल हुए हैं। बारिश के प्रकोप से राज्य भर में 144 मकान या तो पूरी तरह से ढह गए हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
इस भयावह स्थिति के कारण सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं और प्रभावित क्षेत्रों में दहशत का माहौल बना हुआ है। लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं और सरकारी सहायता की उम्मीद कर रहे हैं।
News : कनेक्टिविटी पर गंभीर असर
मॉनसून की बारिश का सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष असर राज्य की कनेक्टिविटी पर पड़ा है। भूस्खलन और सड़कों पर भारी मलबा आने के कारण पूरे प्रदेश में कुल 133 सड़कें यातायात के लिए ठप हो गई हैं। इन बंद पड़ी सड़कों में 3 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग, 8 राज्यीय राजमार्ग और लोक निर्माण विभाग (PWD) की 40 सड़कें शामिल हैं, जो राज्य के विभिन्न हिस्सों को जोड़ती हैं।
इन सड़कों के बंद होने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो रही है और दैनिक आवागमन भी मुश्किल हो गया है। प्रशासनिक टीमें लगातार मशीनों और मानव बल का उपयोग कर मलबा हटाने और इन सड़कों को जल्द से जल्द खोलने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। हालांकि, लगातार बारिश और नए भूस्खलन राहत कार्यों में बाधा डाल रहे हैं।
News : पर्वतीय गांवों का संपर्क कटा, राहत-बचाव कार्य जारी
भारी बारिश के कारण कई पर्वतीय गांवों का जिला मुख्यालयों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। इन दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि आवश्यक सेवाओं और आपूर्ति तक पहुंच मुश्किल हो गई है। एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें इन प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में पूरी तरह लगी हुई हैं।
पुलिस और एसडीआरएफ के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रेस्क्यू कर रहे हैं। कई लोगों को सफलतापूर्वक बचाया गया है और उन्हें अस्थायी राहत शिविरों में ठहराया जा रहा है, जहां उन्हें भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि दूरदराज के क्षेत्रों में भी आवश्यक सहायता पहुंचाई जा सके।
News : भविष्य की चुनौतियाँ और सरकारी प्रयास
मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनजर, उत्तराखंड सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और संबंधित विभागों को हाई अलर्ट पर रखा है। आने वाले दिनों में और अधिक भारी बारिश की आशंका है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है। सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें, सुरक्षित रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रशासन से संपर्क करें।
राहत और बचाव कार्यों के अलावा, सरकार दीर्घकालिक समाधानों पर भी विचार कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। इसमें भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान, वैज्ञानिक तरीकों से ढलानों का स्थिरीकरण और मजबूत सड़क बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। फिलहाल, प्राथमिकता उन लोगों तक पहुंचना है जो अभी भी फंसे हुए हैं और यह सुनिश्चित करना है कि प्रभावित लोगों को पर्याप्त सहायता मिले।
यह संकटकाल उत्तराखंड की भौगोलिक चुनौतियों को एक बार फिर सामने लाता है और आपदा प्रबंधन तंत्र की क्षमता की परीक्षा ले रहा है। राज्य सरकार और विभिन्न एजेंसियां इस चुनौती से निपटने के लिए एकजुट होकर काम कर रही हैं।
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