Joshimath : उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. जहां एक तरफ पूरे इलाके को धंसता देख इसे सिंकिंग जोन करारा कर दिया है. वहीं, दूसरी तरफ इस असाधारण आपदा के चलते टूटे हुए मकानों की संख्या 600 का आंकड़ा पार कर चुकी है.
जोशीमठ की धंसती जमीन को देख विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि केवल जोशीमठ ही नहीं उत्तरकाशी, और नैनीताल जैसे अन्य प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों को भी इस तरह के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.
आपदा प्रभावित इलाकों में NDRF के जवान पूरी तरह से सक्रिय हैं, और लगातार जोशीमठ निवासियों को पुनर्वास केंद्रों में ले जा रहे हैं.
Joshimath : एक्सपर्ट्स के साथ एक हाई-लेवल मीटिंग
वहीं गंभीर हालात देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर एक्सपर्ट्स के साथ एक हाई-लेवल मीटिंग की है जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं, और इस खतरे से निपटने के लिए जुट गई हैं.
जोशीमठ में सैकड़ों इमारतों और सड़कों पर आई दरारों में से पानी का लगातार रिसाव हो रहा है. जिसको देखते हुए इलाके की सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है.
अबी तक लगभग 603 इमारतों में दरारें आ गई हैं. इसके साथ ही 68 परिवार अस्थाई रूप से विस्थापित किए जा चुके हैं.
प्रभावित लोगों के घर-घर जाकर मेडिकल टीम स्वास्थय जांच कर रही हैं और लोगों को सूखे राशन की किट भी बाटी जा रही हैं. वहीं CM धामी ने सभी को एक टीम की तरह काम करने और, शहर को बचाने की अपील की है.
प्रभावितों को किराये के रूप में 4000 रूपये प्रति माह का भुगतान करने का ऐलान भी किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि पीएम मोदी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, और राज्य सरकार को पूरा सहयोग देने का आश्वासन भी दिया है.
Joshimath : निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध
वहीं, इस मामले में जोशीमठ के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है कि, ‘जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही सभी को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.”
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बेतरतीब ढंग से किया गया निर्माण, अनियोजित बुनियादी ढांचे और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स की वजह से जोशीमठ का वजूद खतरे में आया है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक जोशीमठ में आज जो स्थिति है, वह रातों रात नहीं हुई. इस तरह की दरारें साल दर साल शहर और उसके आसपास देखी जा रही थी. लेकिन इस पर गौर नहीं फरमाया गया.
रविवार को 8 सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. पैनल की रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि जमीन के नमूने पहले एकत्र किए गए थे, लेकिन अब वो जगह खोखली हो गई है.
कहीं-कहीं भूमि ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए घरों की नींव मजबूत नहीं है, पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावित क्षेत्रों की मिट्टी का परीक्षण भी किया जाना चाहिए था. अगर समय रहते मामले की गंभीरता को समझा गया होता तो शायद आज हालात बेकाबू न होते.
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