News : देश के दो प्रतिष्ठित मीडिया हाउस से जुड़े पत्रकारों की गिरफ्तारी ने पूरे मीडिया जगत को हिला दिया है। ‘भारत 24’ न्यूज चैनल की एंकर शाजिया निसार और अमर उजाला डिजिटल टीम से जुड़े एंकर आदर्श झा को पुलिस ने 65 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने और ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार कर सीधे जेल भेज दिया है। यह मामला मीडिया संस्थानों के भीतर की साजिश, अनुशासनहीनता और दबाव की राजनीति का बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है।
News : कब और कैसे शुरू हुआ ये मामला?
बता दें कि नवंबर 2022 में, शाजिया निसार ने भारत 24 न्यूज चैनल में एक एंकर के तौर पर जॉइन किया था। शुरुआत में सब सामान्य था, लेकिन कुछ ही महीनों में उनका बर्ताव संस्थान के लिए सिरदर्द बन गया।
चैनल के HR विभाग, वरिष्ठ संपादकों और तकनीकी स्टाफ से उनका लगातार विवाद होता रहा। आरोप है कि वे कार्यस्थल पर अनुशासन तोड़ती रहीं, बहसबाजी करती थीं और दूसरों पर बेवजह आरोप लगाती थीं।
2023 के दौरान, शाजिया बिना किसी सूचना के करीब 7 महीने के लिए गायब हो गईं। जब वे वापस आईं, तो उन्होंने चैनल में रोते हुए दावा किया कि उन्हें मानसिक परेशानी थी और अब वह खुद में सुधार लाएंगी। लेकिन उनकी आदतें जस की तस रहीं।
News : फिर शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का खेल
कुछ ही महीनों में, उनका व्यवहार और अधिक आक्रामक हो गया। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, एक दिन शाजिया ने सीधे चैनल प्रबंधन को कॉल करके धमकी दी कि अगर उन्हें 5 करोड़ रुपये नहीं दिए गए, तो वे चैनल और उसके वरिष्ठों के खिलाफ उत्पीड़न और बलात्कार जैसे झूठे केस दर्ज करा देंगी।
जब ये धमकी काम नहीं आई, तो पैसों की मांग धीरे-धीरे बढ़ती गई और आखिरकार ये रकम 65 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
इस पूरे घटनाक्रम में शाजिया के साथ आदर्श झा भी शामिल था। आदर्श झा, जो अमर उजाला डिजिटल टीम में काम करता था, शाजिया की हरकतों में उसका पूरा साथ दे रहा था। उसने चैनल प्रबंधन से मीटिंग भी की, जिसमें समझौते का दबाव डाला गया।
News : पकड़े गए रंगे हाथ
शाजिया और आदर्श शायद ये भूल गए थे कि चैनल की ओर से सभी मीटिंग्स और बातचीत की रिकॉर्डिंग की जा रही थी।
इन रिकॉर्डिंग्स में दोनों की धमकियों, पैसे की मांग और मानसिक दबाव बनाने की रणनीति साफ तौर पर सामने आ गई।
इन सब सबूतों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया और सीधे जेल भेज दिया।
भारत 24 और अमर उजाला की तरफ से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आंतरिक सूत्रों का कहना है कि दोनों संस्थान इस मामले से बेहद हैरान और आहत हैं। उन्होंने कानून और पुलिस की कार्रवाई में पूरा सहयोग देने का भरोसा जताया है।
News : क्या पत्रकारिता की आड़ में चल रहा था रैकेट?
इस घटना ने एक बार फिर पत्रकारिता की आड़ में चल रही ब्लैकमेलिंग और दबाव की राजनीति को उजागर कर दिया है। आम जनता का भरोसा पत्रकारों पर होता है, लेकिन जब वे ही ऐसी हरकतों में लिप्त पाए जाते हैं, तो पूरी व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या शाजिया और आदर्श इस पूरे खेल में किसी और बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे या नहीं। साथ ही, अन्य पीड़ितों और ऐसे ही मामलों की भी तलाश की जा रही है।
शाजिया निसार और आदर्श झा की गिरफ्तारी एक बड़ा सबक है उन लोगों के लिए जो पत्रकारिता की गरिमा को पैसे और पावर के लालच में बेच डालते हैं। इस पूरे मामले ने दिखा दिया कि चाहे आप कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, कानून से ऊपर कोई नहीं है। अब देश की निगाहें इस हाई-प्रोफाइल मामले में आने वाले दिनों की कार्रवाई पर टिकी हैं।
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