Krishna Janmabhoomi Case : हाई कोर्ट से हिंदू पक्ष को झटका, याचिका खारिज!

Krishna Janmabhoomi Case

Krishna Janmabhoomi Case : श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर लंबे समय से चल रहे मुकदमे में एक अहम मोड़ सामने आया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी। इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह मामला धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक दावों से जुड़ा हुआ है।

Krishna Janmabhoomi Case : क्या है पूरा मामला?

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जहां अभी शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है, वही स्थान असल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान है। उनका यह भी कहना है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में एक मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था।

हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर ईदगाह मस्जिद को हटाने और उस भूमि पर श्रीकृष्ण मंदिर का पुनर्निर्माण करने की अनुमति मांगी थी।

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Krishna Janmabhoomi Case : कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 3 जुलाई 2025 को अपने फैसले में कहा कि याचिका ‘मेंटेनबल’ (योग्य) नहीं है। न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की एकल पीठ ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि जिस आधार पर यह याचिका दायर की गई थी, वह कानूनी दृष्टि से पर्याप्त नहीं है।

Krishna Janmabhoomi Case : किन बातों पर हुई सुनवाई?

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 1968 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते को भी महत्वपूर्ण माना। मुस्लिम पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि यह समझौता वैध है और इसके बाद इस भूमि को लेकर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।

हिंदू पक्ष ने इस समझौते को अवैध बताया और कहा कि यह ट्रस्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि एक पवित्र स्थल है, जिसे किसी भी समझौते के जरिए त्यागा नहीं जा सकता।

Krishna Janmabhoomi Case : मुस्लिम पक्ष की दलीलें

मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकीलों ने कोर्ट में कहा कि यह मामला पहले ही कई अदालतों में खारिज हो चुका है और याचिकाकर्ता बार-बार एक ही मुद्दे को अलग-अलग ढंग से अदालत में लाकर न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं।

उन्होंने 1968 के समझौते को पूरी तरह वैध बताया और कहा कि इसके बाद से मस्जिद और मंदिर के बीच कोई विवाद नहीं रहा।

Krishna Janmabhoomi Case : क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील?

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से वे असहमत हैं और वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ एक समझौते का नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का है।

उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि अदालत को ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाना चाहिए था। हम आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।”

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Krishna Janmabhoomi Case : आगे क्या होगा?

अब हिंदू पक्ष इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहा है। वकील विष्णु जैन और अन्य याचिकाकर्ताओं का मानना है कि उन्हें वहां न्याय मिलेगा। वहीं मुस्लिम पक्ष को उम्मीद है कि हाई कोर्ट के इस फैसले से विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा और दोनों समुदायों में शांति बनी रहेगी।

इस मामले पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। बीजेपी के कुछ नेताओं ने हिंदू पक्ष को समर्थन देते हुए कहा कि यह मामला केवल भूमि विवाद का नहीं बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और ऐतिहासिक न्याय का है। वहीं विपक्षी दलों ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की है और कहा है कि इस तरह के मामलों को न्यायपालिका पर छोड़ देना चाहिए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला एक संवेदनशील और ऐतिहासिक मुद्दे पर बड़ी कानूनी टिप्पणी है। जहां हिंदू पक्ष इसे झटका मान रहा है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे न्यायिक प्रणाली की जीत बता रहा है। अब सभी की निगाहें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संभावित सुनवाई पर टिकी हैं, जहां शायद इस विवाद का अंतिम और निर्णायक समाधान मिल सकता है।

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