Gyanvapi पर HC से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, जारी रहेगा परिसर का ASI सर्वे | Nation One
Gyanvapi : ज्ञानवापी परिसर से जुड़े मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है।हाईकोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे वाले वाराणसी जिला अदालत के फैसले को लागू कर दिया है।
मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे के खिलाफ अपील की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है। अब अदालत के फैसले के बाद ज्ञानवापी में सर्वे तुरंत शुरू होगा। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब मुस्लिम पक्ष अपनी अपील को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
कोर्ट के फैसले के बाद हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बयान दिया है कि अदालत ने सर्वे को मंजूरी दी है। एएसआई ने अपना हलफनामा दे दिया है और अदालत का आदेश आ गया है। ऐसे में अब कोई सवाल नहीं बनता है।
Gyanvapi : जिला जज ने दिया था ASI सर्वे का आदेश
वकील ने बताया कि अदालत ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज किया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रियाएं भी आना शुरू हो गई हैं। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बयान दिया है कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी, राम मंदिर जैसे ही इसका भी निर्णय होगा। अब सभी शिवभक्तों की मनोकामनाएं पूरी होंगी।
हिन्दू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय के डिस्ट्रिक्ट जज अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी परिसर के सांटिफिक सर्वे की अनुमति दी थी और 4 अगस्त तक ASI को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
इसपर सावन के तीसरे सोमवार 24 जुलाई को ASI की 32 सदस्ययी टीम विश्वनाथ धाम पहुंची थी। उधर मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे का बहिष्कार किया था और सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका डाली थी, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर ततकाल प्रभाव से रोक लगा दी थी और मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी।
Gyanvapi : मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा था, परिसर को होगा नुकसान
कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने असमायिक अदालती आदेश के जरिये ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचनें की आशंका जताई थी।
उन्हाेनें यह भी कहा था कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस का दंश देश ने झेला है। सिविल वाद में पोषणीयता का बिंदु तय किये बिना जल्दबाजी में सर्वेक्षण और खोदाई का फैसला घातक हो सकता है।
हालांकि एएसआई ने मुस्लिम पक्ष की दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि सर्वेक्षण के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक से ज्ञानवापी की मूल संरचना को खरोंच तक नहीं आयेगी।
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