Uttarakhand : उत्तराखंड में एक बार फिर सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की गूंज सुनाई दी है। इस बार मामला वन विभाग से जुड़ा है, जहां पौधरोपण अभियान की आड़ में भारी वित्तीय गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। सरकार के हरियाली बढ़ाने के दावे अब सवालों के घेरे में आ गए हैं।
आरोप है कि 10 रुपये की वास्तविक कीमत वाले पौधों को रिकॉर्ड में 100 रुपये प्रति पौधा दिखाकर खरीदा गया है। इस खुलासे ने प्रदेश भर में हड़कंप मचा दिया है।
Uttarakhand : पौधरोपण घोटाले का पर्दाफाश
मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित विशेष जांच टीम (SIT) की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वन विभाग द्वारा करोड़ों रुपये के बजट में गड़बड़ी कर पौधरोपण अभियान को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया।
जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पौधों की खरीद में न केवल मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, बल्कि कई स्थानों पर कागज़ों में ही पौधरोपण कर दिया गया, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं हुआ।
Uttarakhand : जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
SIT द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में पाया गया कि कई क्षेत्रों में स्थानीय नर्सरियों से पौधे नहीं लिए गए बल्कि बाहर की प्राइवेट एजेंसियों से मनमानी दरों पर पौधे खरीदे गए। उदाहरण के तौर पर, जिन पौधों की सामान्य कीमत बाजार में 8-15 रुपये के बीच थी, उन्हें रिकॉर्ड में 80 से 100 रुपये प्रति पौधा दर्शाया गया। यही नहीं, कई पौधों की खरीद का भुगतान बिना किसी सत्यापन के कर दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड में लगभग 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से वन क्षेत्र में पौधरोपण का कार्य किया गया था। लेकिन इस बजट का बड़ा हिस्सा फर्जी बिलों, मनमानी दरों और कागजी कामों में खपा दिया गया।
Uttarakhand : किन जिलों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी
सर्वे और जांच में पौड़ी, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, चंपावत और देहरादून जिलों में सबसे अधिक अनियमितताओं के प्रमाण मिले हैं। इन जिलों में स्थानीय अधिकारियों ने निजी कंपनियों से मिलकर पौधों की आपूर्ति का फर्जीवाड़ा किया।
देहरादून वन प्रभाग में तो एक ही दिन में लाखों पौधों के लगाने का दावा किया गया है, जबकि स्थलीय सत्यापन में अधिकांश स्थानों पर न कोई गड्ढा खुदा मिला और न ही पौधे लगे पाए गए।
Uttarakhand : क्या बोले अधिकारी?
वन विभाग के प्रमुख सचिव आर.के. सिंह ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “जांच रिपोर्ट मिल गई है और दोषी अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है। इसमें लिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों पर जल्द ही विभागीय कार्रवाई की जाएगी। हमने साफ निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में कोई रियायत नहीं दी जाएगी।”
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। चाहे वो किसी भी विभाग से जुड़ा हो, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, “सरकार खुद पौधरोपण जैसे नेक कार्यों में भ्रष्टाचार कर रही है। यह राज्य के पर्यावरण के साथ धोखा है। मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर जिम्मेदारी लेते हुए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”
Uttarakhand : सवालों के घेरे में सरकारी योजनाएं
उत्तराखंड में हर साल लाखों पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया जाता है। वन विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होने का दावा किया जाता है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग दिखाई देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पौधरोपण हुआ होता, तो प्रदेश के जंगल कहीं ज्यादा घने और समृद्ध हो चुके होते।
उत्तराखंड में वन विभाग से जुड़ा यह घोटाला सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय अपराध भी है। हरियाली और वनों के संरक्षण के नाम पर की गई इस लूट से प्रदेश की पारिस्थितिकी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। यह आवश्यक है कि सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए, दोषियों को कठोर सजा दे और भविष्य में पारदर्शिता के लिए तकनीकी निगरानी प्रणाली विकसित करे।
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