SherShaah : कारगिल युद्ध के ‘शेरशाह हीरो’ कैप्टन विक्रम बत्रा का यादगार सफर, पढ़ें यहां | Nation One
‘शेरशाह’ जो कि करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा (पीवीसी) के जीवन पर आधारित है, अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीमिंग कर रही है, और केवल एक दिन में फिल्म ने बहुत सारे दर्शकों का दिल जीत लिया है। जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले शेरशाह की एक स्क्रीनिंग में कैप्टन विक्रम बत्रा का परिवार भी मौजूद था।
जैसे की हम इस चीज से अवगत है कि भारत के इतिहास में करगिल युद्ध अब तक की सबसे मुश्किल और भयानक लड़ाई थी। 17,000 फीट की ऊंचाई पर लड़े गए इस ऐतिहासिक युद्ध में देश ने बहुत कुछ खोया। वीरता और देशभक्ति की कई कहानियां आज भी प्रचलित हैं और ऐसा ही एक किस्सा है स्वर्गीय कैप्टन विक्रम बत्रा का, जो आज लोगो के बीच ‘शेरशाह’ मूवी के जरिए दिखाया जा रहा है।
‘शेरशाह‘ मूवी
‘शेरशाह’ मूवी को दर्शक काफी हद तक पसंद कर रहे है। शेरशाह’ कैप्टन विक्रम बत्रा (पीवीसी) के जीवन से प्रेरित है और इसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी के साथ शिव पंडित, राज अर्जुन, प्रणय पचौरी, हिमांशु अशोक मल्होत्रा और निकितिन धीर प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
कैप्टन विक्रम बत्रा का पद
विक्रम बत्रा को 1997 में 13वीं बटालियन जम्मू और कश्मीर राइफल्स के लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना में कमीशन किया गया था. बाद में, उन्हें युद्ध के मैदान में ही कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया था ।
कैप्टन विक्रम को दिया ‘शेरशाह‘ नाम
कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से केवल भारम नही पाकिस्तान में भी मशहूर है। दसअसल 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम पाकिस्तानी आर्मी ने ही दिया था। उनकी शेरदिली के आगे पाकिस्तानी फौजें भी अपना सिर झुकाती थीं और पाकिस्तानी फौज अपनी बातचीत में उनके लिए ‘शेरशाह’ कोड नेम का इस्तेमाल करते थे ।
7 जुलाई 1999 को जब उनकी शहादत हुई उस समय उनकी डेल्टा कंपनी ने पॉइंट 5140 को जीत लिया था और पॉइंट 4750 और पॉइंट 4875 पर दुश्मन की पोस्ट को बर्बाद कर दिया था।
जान गंवाने से पहले उन्होंने तीन दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था. उनका नारा था ‘ये दिल मांगे मोर’ जो कि उस समय बहुत ज्यादा मशहूर हुआ था.
कैप्टन विक्रम की फैमली
कैप्टन बत्रा का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था । उनका एक बड़ा जुड़वां भाई, विशाल बत्रा और दो बहनें थीं। जून 1996 में देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में शामिल हुए।
बत्रा के माता-पिता ने इस स्क्रीनिंग के मौके पर कहा, ‘सिद्धार्थ और कियारा ने बहुत अच्छा काम किया है. जो चीजें हमनें पढ़ रखीं थी, जितना हमें पता था कि विक्रम ने जो किया वो सब हमें लगा कि हम स्क्रीन पर देख रहे हैं.’ परिवार के कई सदस्य इस स्क्रीनिंग के दौरान रोते हुए नजर आए।
कैप्टन विक्रम की लव स्टोरी
देश के लिए कुर्बान होने वाले विक्रम बत्रा अपनी प्रेमिका से मंगेतर बनी डिंपल चीमा से बेहद प्यार करत थे। अब आप कैप्टन बत्रा और डिंपल चीमा की कहानी को अपनी स्क्रीन पर देख सकते हैं क्योंकि सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी ने 12 अगस्त को रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘शेरशाह’ में इन किरदारों को निभाया है।
डिंपल बताती हैं कि दोनों अकसर मनसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नदा साहब जाया करते थे. एक बार परिक्रमा करते हुए विक्रम बत्रा ने अचानक डिंपल से कहा, ‘बधाई हो मिसेज बत्रा, आपने यह ध्यान नहीं दिया कि हम दोनों ने एक साथ चार बार परिक्रमा कर ली है.’।
डिंपल ने उनसे शादी के बारे में पूछा तो विक्रम ने अपने पर्स से ब्लेड निकाला, अपना अंगूठा काटा और खून से डिंपल की मांग भर दी. डिंपल कहती हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे अनमोल पल था. डिंपल विक्रम बत्रा का इंतजार करती रहीं औऱ उसके बाद किसी और से शादी नहीं की ।
हर बार जब वे छुट्टी पर पालमपुर घर आते थे, तो वे नेगल कैफे जाते थे। बत्रा आखिरी बार 1999 में होली के त्योहार के दौरान कुछ दिनों के लिए सेना से छुट्टी पर घर आए थे। उस दौरान, जब वह मंगेतर डिंपल चीमा से मिले, जिसने उन्हे युद्ध में सावधान रहने के लिए कहा, जिस पर बत्रा ने जवाब दिया:
मैं या तो विजयी होकर भारत का झंडा फहराकर आऊंगा या फिर उसमें लिपटकर लौटूंगा। लेकिन मैं वापस जरूर आऊंगा
कैप्टन विक्रम बत्रा की पहली पोस्टिंग
कैप्टन विक्रम बत्रा की पहली पोस्टिंग सोपोर, बारामूला जिला, जम्मू और कश्मीर में हुई, जो महत्वपूर्ण उग्रवादी गतिविधियों वाला क्षेत्र था।
विक्रम बत्रा 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर भर्ती हुए थे, दो ही साल के अंदर उन्हें कैप्टन बना दिया गया। उसी वक्त कारगिल का युद्ध शुरू हो गया था।
देश की मिट्टी के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले कैप्टन बत्रा ने कारगिल के पांच सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स को जीतने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
करगिल युद्ध 1999, कैप्टन बत्रा ने किया था टीम को लीड
पाकिस्तान के सैनिकों ने कश्मीरी आतंकवादियों के वेश में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी। देश का मान दांव पर था।
जाबांज सैनिक कैप्टन बत्रा ने 20 जून को चोटी 5140 (लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई) पर नियंत्रण के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया और गोली लगने के बाद भी हथगोले फेंके और यहां तक कि दुश्मन सैनिकों के साथ हाथ से मुकाबला करने में औऱ अपने साथियों को बचाने मे लगे रहे।
बता दे कि खुद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वेद प्रकाश मलिक ने तब कहा था कि यदि कैप्टन विक्रम बत्रा जिंदा वापसी करते तो वह इंडियन आर्मी के हेड बन गए होते।
ये दिल मांगे मोरे‘
कैप्टन विक्रम बत्रा ने कोडवर्ड ‘ये दिल मांगे मोर’ में संदेश भेजकर घोषणा की कि चोटी को वापस ले लिया गया है।
परम वीर चक्र
कैप्टन विक्रम बत्रा को राष्ट्र की सेवा में उनके योगदान के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।