अब 50 साल तक अडानी ग्रुप संभालेगा लखनऊ हवाई अड्डा | Nation One

लखनऊ : आज रात 12 बजे से 34 साल पुराना राजधानी लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (हवाई अड्डा) अगले 50 सालों के लिए अडानी ग्रुप संभालेगा. इसमें यात्रियों की सुविधाओं के साथ कामर्शियल गतिविधियां भी शामिल हैं.

एयर ट्रैफिक कंट्रोल पहले की तरह ATC और सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) पर होगा. 3 साल तक अडानी ग्रुप एयरपोर्ट प्रशासन के साथ काम करेगा. आपको बता दं कि, यहां से करीब 160 से अधिक विमानों का संचालन होता है. साल भर में 55 लाख यात्री सफर करते हैं.

लखनऊ एयरपोर्ट के पूर्व निदेशक SC होता अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के CEO बनाए गए हैं. वहीं, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के 300 कर्मचारी लखनऊ एयरपोर्ट पर कार्यरत हैं. इनमें ऑपरेशन के अधिकांश कर्मचारी ATC व नेवीगेशन में लगे रहे हैं जबकि, कामर्शियल के कर्मचारी दो साल अडानी ग्रुप के साथ काम करेंगे.

1986 में शुरू हुआ था सफर

लखनऊ एयरपोर्ट खास उद्योगपतियों और सरकार के इस्तेमाल के लिए सन 1986 में बना था. हालांकि, इस एयरपोर्ट को 17 जुलाई 2008 को यात्रियों के लिए विकसित किया गया. मई 2012 में लखनऊ एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया. दो जून 2012 से नया थ्री टियर का करीब दो हजार यात्रियों की क्षमता वाला घरेलू टर्मिनल भी शुरू हो गया.

अब क्या बदलेगा और क्या पहले जैसा रहेगा?

अंतरराष्ट्रीय चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट का नाम वही रहेगा, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की जगह अडानी ग्रुप का नाम लेकर जाएगा.एयरपोर्ट का रंग रोगन अडानी ग्रुप अपने अनुसार करवाएगा.अडानी ग्रुप PPP मॉडल के तहत एयरपोर्ट की व्यवस्था को लेकर अपना प्लान तैयार करेगा.इसमें यात्रियों की सुविधाओं में क्या कमी है उसका बदलाव अगले 3 महीने में देखने में मिलेगा.

एयरपोर्ट के आउटसाइड दो कैंटीन खोले जाने की प्लान किया गया है, फिलहाल अभी इस पर कोई मंजूरी नहीं की गई है.कैंटीन खोले जाने का प्लान इसलिए किया जा रहा है क्योंकि दूर से आने वाले यात्रियों के साथ आने वाले लोग प्रतीक्षा या उनको छोड़ने से इंतजार करने वालों के लिए होगा.

छह कंपनियों ने लगाई थी बोली

आपको बता दें, लखनऊ एयरपोर्ट के लिए 6 कंपनियों ने बोली लगाई थी. प्रति यात्री शुल्क के आधार पर अडानी ग्रुप ने 171 और AMP कैपिटल ने 139 रुपए की बोली लगाई थी. यह अहमदाबाद के 177 रुपए प्रति यात्री के बाद किसी एयरपोर्ट के लिए अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी बोली थी.