Indus Water Treaty : पहलगाम हमले के बाद भारत ने लगाई सिंधु जल संधि पर रोक, टेंशन में पाकिस्तान!

Indus Water Treaty : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। हमले के बाद भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सीधे पाकिस्तान को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

इसके बाद भारत ने न केवल पाकिस्तान से अपने राजनयिक संबंध सीमित किए, बल्कि दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया।

Indus Water Treaty : क्या है सिंधु जल संधि और क्यों है यह अहम?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच बनी यह संधि दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार है। इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकतर पानी पाकिस्तान को मिलता है, जबकि व्यास, रावी और सतलज भारत के हिस्से में आती हैं।

भारत अब इस समझौते पर पुनर्विचार कर रहा है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है।

Indus Water Treaty : भारत का दो-टूक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद सख्त रुख अपनाते हुए इसे “सीधा पाकिस्तान प्रायोजित आतंक” करार दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि अब पाकिस्तान को आतंक फैलाने की कीमत चुकानी होगी। सिंधु जल संधि का निलंबन इसी नीति का हिस्सा है, जिससे पाकिस्तान पर आर्थिक और पर्यावरणीय दबाव बढ़ेगा।

Indus Water Treaty : पाकिस्तान पर संभावित असर

पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था और ऊर्जा उत्पादन काफी हद तक इन नदियों के जल पर निर्भर करता है। अगर भारत जल आपूर्ति को नियंत्रित करता है, तो पाकिस्तान को खाद्य संकट, बिजली की कमी और जल स्रोतों के सूखने जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति को और अस्थिर कर सकता है।

भारत के इस फैसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर बनी हुई है। अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल जैसे देशों ने हमले की निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता जताई है। वहीं पाकिस्तान ने इसे “अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन” बताते हुए वैश्विक मंचों पर जाने की चेतावनी दी है।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना सिर्फ एक कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि पाकिस्तान को दिए गए एक कड़े संदेश की तरह है। भारत अब यह स्पष्ट कर रहा है कि आतंकवाद को समर्थन देने वालों के लिए कोई नरमी नहीं होगी। आने वाले समय में यह फैसला दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकता है।

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