अवमानना केस : प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा | Nation One
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने प्रशांत भूषण को आज भी माफी मांगने पर विचार के लिए 30 मिनट का मौका दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से फिर से इनकार कर दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना के 2020 के मामले में वकील प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल से उनकी राय मांगी गई। जिस पर अटारनी जनरल ने कहा कि भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए भूषण को माफ कर देना चाहिए। अटार्नी जनरल ने कहा कि वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ दिए अपने सभी बयान वापस ले लेगें, ऐसे में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए।
उधर, भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भूषण से माफी मांगने को कहकर जबर्दस्ती कर रहा है। उन्होंने कहा कि भूषण को सजा देकर सुप्रीम कोर्ट उन्हें ‘शहीद’ बना देगा।
वहीं, इसके पहले कोर्ट ने 20 अगस्त को भूषण की सजा पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इन्कार कर दिया।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पूरक बयान में प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर वह माफी मांगते हैं तो ऐसा करना उनकी नजर में उनकी अंतरात्मा और इस संस्था की अवमानना होगी। सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे व पूर्व चार प्रधान न्यायाधीशों के बारे में दो ट्वीट करने के लिए न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया गया है।
वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में सुनवाई को 10 सितंबर तक स्थगित किया। यह मामला एक मैगजीन मे छपे प्रशांत भूषण के इंटरव्यू का है जिसमे भूषण ने भ्रष्टाचार के संबंध मे न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी।
इस मामले मे मैगजीन के एडीटर पर भी अवमानना का मामला चल रहा है। कोर्ट ने कहा कि राजीव धवन की ओर से उठाए गए सवालों पर लंबी सुनवाई की जरूरत है। अभी समय कम है। मामला उचित पीठ में लगाने के लिए सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए। अभी सुनवाई पीठ के जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।