Chitragupta Puja : ब्राह्मणों से दान लेने का हक सिर्फ कायस्थों को, क्या है इसके पिछे की वजह | Nation One
Chitragupta Puja : ब्राह्मणों को हर जाति से दान लेने का अधिकार है लेकिन कायस्थ है कि उन्हे ब्राह्मणों से दान लेने का अधिकार है। यह बात सुनने में अजीब जरूर लगती है लेकिन किदवंती के अनुसार यह सत्य है।
Chitragupta Puja : कायस्थों को ब्राह्मणों से दान लेने का अधिकार क्यूं है ?
दरअसल, जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहा। गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं।
ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवी-देवता आ गए, तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है। इस पर खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था, जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये ।
Chitragupta Puja : भगवान चित्रगुप्त को नहीं मिला था निमंत्रण
वहीं जब भागवान राम के राजतिलक के लिए चित्रगुप्त को निमंत्रण नहीं मिला, तो इससे नाराज होकर भगवान चित्रगुप्त ने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया। उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था।
वहीं जब सभी देवी देवता राजतिलक से जैसे ही लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे, प्राणियों का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे।
तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम के आग्रह मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (24 घंटे बाद) पुन: कलम दवात की पूजा करने के पश्चात उठाया।
Chitragupta Puja : परेवा के दिन कलम नहीं उठाता कायस्थ समाज
वहीं तभी से कायस्थ सामज परेवा के दिन कलम का प्रयोग नहीं करते हैं, यानी किसी भी तरह का का हिसाब- किताब नही करते है। और दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है
कहते है तभी से कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को ही है।
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