छत्तीसगढ़: संकटकाल मैं भी शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर भ्रष्टाचार जारी | Nation One
जांजगीर-चांपा में संचालित महिला शासकीय उचित मूल्य की दुकान में इन दिनों कोरोना संकट के काल में ग्रामीणों के लगभग 500 राशन कार्ड पर फर्जी तरीके से इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी की समस्या को बताकर ग्रामीणों के हक का राशन में घोटाला कर महिला समूह के आड में ग्रामीणों से खुले आम अवैध वसूली किया जा रही है। एवम् राशन समान से भी 5-5 किलो की अवैध कटौती की जा रही है।
बता दें कि जिला जांजगीर-चांपा शक्ति के स्थानीय ग्राम पंचायत जामपाली की जहां एक तरफ कोरोना काल लोगों के लिए रोना बन गया है। वहीं दूसरी तरफ जामपाली के शासकीय उचित मूल्य दुकान में घोटाले का काम जोरों पर किया जा रहा है। वहीं संकट काल में राज्य सरकार गरीबों और असहयो को पीडीएस योजना के तहत अतिरिक्त राशन समान देकर राहत देने का काम कर रही है। राशन वितरण करने वाले महिला समिति द्वारा कोरोना संकट काल के समय में भी हितग्राहियों के राशन पर डाका डालने से बाज नहीं आ रहे है।
वहीं स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कई महीनों से राज्य सरकार सभी हितग्राहियों को अतिरिक्त राशन सामना दे रही है। मगर चावल मिलना तो दूर हितग्राहियों से अतिरिक्त पैसें वसूले जा रहे है। जिसकी जानकारी ग्रामीणों ने लिखित आवेदन और फोन पर मीडिया प्रतिनिधियों को दी। जिसकी जानकारी मिलते ही मीडिया की टीम ग्राम जामपली पहुंची तो वहीं ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी और मीडिया के सामने राशन देने वाले महिला समिति के वितरण को लेकर समिति के काले चिट्ठे खोलने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि कई महीनों से मिट्टी तेल एव चावल और सककर में कटौती की जा रही है और वहीं प्रत्येक राशन कार्ड में 20-20 रुपए अतिरिक्त अवैध शुल्क ले रहे है।
इस मामले को लेकर मीडिया टीम ने जब महिला समिति से पक्ष जानना चाहा तो समिति का कहना है कि टेबलेट में तकनीकी खराबी बताकर मामले से अपना पल्ला झड़ दिया। अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि कोरोना के संकट काल में सरकार द्वारा लोगों की राहत के लिए सरकार कई योजनाओं के माध्यम से लोगो को राहत दे रही है। लेकिन कई ऐसे उचित मूल्य दुकान संचालक द्वारा गरीबों के पेट से डाका डाला जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि समाचार प्रसारित होने पर सरकार क्या कार्यवाही करती है। उचित मूल्य के दुकान संचालकों के द्वारा गरीबों के पेट से डाका डाला जा रहा है। इस मामले की जानकारी मीडिया प्रतिनिधि टीम के द्वारा खाद्य अधिकारी अजय प्रधान को उनके ऑफिस जाकर जमापली में हो रहे उचित मूल्य की गड़बड़ी को लेकर अवगत करने की कोशिश की गई लेकिन साहब ऑफिस में नहीं मिले इसके बाद मीडिया टीम द्वारा फोन कर उनसे संपर्क साधने के कोशिश की गई लेकिन बात करना तो दूर फोन तक नहीं उठाए।
इससे अब उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहा है। ऐसे भ्रष्टाचार करने वाले उचित मूल्य की दुकान समिति के ऊपर कार्यवाही करने के बजाय घोटाले करने वाले महिला समूह को उलटा संरक्षण दिया जा रहा है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार और उच्च अधिकारी ऐसे भ्रष्टाचार करने वाले समूह और लापरवाह अधिकारियो के ऊपर क्या कुछ कार्यवाही करती है।