Uttarakhand में बनी 14 दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल, कई नामी कंपनियों के नाम आए सामने!

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Uttarakhand : उत्तराखंड की फार्मा इंडस्ट्री को बड़ा झटका देते हुए हाल ही में की गई गुणवत्ता जांच में राज्य में निर्मित 14 दवाएं फेल पाई गई हैं। यह रिपोर्ट केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जून 2025 के लिए जारी की गई है। इसमें देशभर की 1,227 नमूनों की जांच की गई, जिसमें से कुल 49 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरीं। इनमें से 14 दवाएं अकेले उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित थीं।

इस खुलासे से उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्रों खासतौर पर सिडकुल, हरिद्वार, रुड़की और पंतनगर में सक्रिय दवा निर्माण इकाइयों की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य की इन इकाइयों में तैयार हो रही दवाओं की गुणवत्ता पर अब सख्ती से नजर रखी जा रही है।

Uttarakhand : जांच में फेल हुई दवाओं में किन कंपनियों के नाम शामिल?

सूत्रों के अनुसार जिन कंपनियों की दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुई हैं, उनमें कुछ नाम इस प्रकार हैं:

  1. जीवन हेल्थकेयर, हरिद्वार
  2. मेडिको फार्मा, रुड़की
  3. गैलेक्सी बायोकेम, सिडकुल
  4. हिमालय ड्रग्स, पंतनगर
  5. वैलनेस लाइफसाइंसेज, काशीपुर
  6. हर्बल क्योर लिमिटेड, देहरादून

इन दवाओं में मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, कफ सिरप और विटामिन सप्लीमेंट्स शामिल हैं। जांच में पाया गया कि या तो इन दवाओं में सक्रिय तत्व निर्धारित मात्रा में नहीं थे, या उनकी पोटेंसी बेहद कम थी।

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Uttarakhand : स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य औषधि नियंत्रक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी फेल दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही इन दवाओं को बाजार से वापस लेने (recall) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

उत्तराखंड के औषधि नियंत्रक अधिकारी ने कहा, “हमने संबंधित कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए हैं और उन्हें जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो उनके लाइसेंस रद्द करने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।”

Uttarakhand : सीडीएससीओ की चेतावनी और भविष्य की रणनीति

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इस रिपोर्ट के बाद फार्मा कंपनियों को सख्त हिदायत दी है कि वे निर्माण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें। साथ ही निरीक्षण और सैंपलिंग की प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा ताकि बाजार में मानकहीन दवाएं पहुंचने से रोकी जा सकें।

सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो कंपनियां बार-बार नियमों का उल्लंघन करेंगी, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

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Uttarakhand : राज्य सरकार पर भी उठे सवाल

इस मामले के सामने आने के बाद राज्य सरकार की फार्मा नीति और निगरानी तंत्र पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने फार्मा कंपनियों को अनावश्यक छूट दी है और निगरानी के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जाती है।

एक विपक्षी नेता ने कहा, “ये दवाएं अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स के जरिए आम जनता तक पहुंच रही थीं। क्या सरकार को इस बात की भनक तक नहीं थी? इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है?”

Uttarakhand : जनता को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि जनता को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए और केवल प्रमाणित ब्रांड की दवाएं ही खरीदनी चाहिए। किसी भी दवा के साइड इफेक्ट या असर न होने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और दवा की जानकारी स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी को दें।

उत्तराखंड में बनी दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होना पूरे देश के फार्मा सेक्टर के लिए चिंता का विषय है। सरकार को चाहिए कि वह केवल औद्योगिक विकास पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी उतना ही ध्यान दे। फेल हुई दवाओं के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से ही जनता का भरोसा फिर से कायम हो सकता है।

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