उत्तराखंडः गडकरी के पत्र पर घिरी सरकार, दो बार स्थगित किया सदन
- कांग्रेसी विधायकों ने वेल के अंदर आकर की नारेबाजी
- सरकार पर लगाया आरोपियों को बचाने की आरोप
- सरकार ने दिया अपनी ओऱ से जांच का आश्वासन
देहरादून
आखिरकार वहीं हुआ जिसकी आशंका थी। विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेसी विधायकों ने धारा-310 के तहत एनएच घोटाले पर चर्चा कराने की मांग की। मांग के केंद्र बिंदु में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का सीबीआई जांच रोकने संबंधी पत्र ही रहा। अंत में स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रश्नकाल रोककर नियम-310 के तहत की सूचना की ग्राह्यता पर चर्चा को मंजूरी दी।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि एनएच घोटाला एक गंभीर मामला है और सदन को रोककर इस पर चर्चा कराई जाए। स्पीकर ने प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा कराने की बात की। लेकिन विधायक तैयार नहीं हुए और वेल में आकर जांच की मांग के पक्ष में नारेबाजी करने लगे। ज्यादा हंगामा बढ़ने पर स्पीकर ने सदन को पहले 15 मिनट के लिए स्थगित किया और बाद में 15 मिनट का समय और बढ़ा दिया गया।
स्थगन के बाद सदन शुरू होते ही कांग्रेसी अपनी मांग के समर्थन में वेल में आकर फिर से नारेबाजी करने लगे। इस पर सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि चूंकि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। लिहाजा इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। कांग्रेसी विधायकों का हंगामा बढ़ने पर स्पीकर ने नियम-310 के तहत दी गई सूचना की ग्राह्यता पर चर्चा की अनुमति दी।
चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि करप्शन पर जीरो टालरेंस की बात करने वाली सरकार 363 करोड़ के घोटाले के आरोपियों को बचा रही है। जांच से यह साफ हो जाएगा कि आखिर कौन ताकतवर लोग इसके पीछे हैं। उन्होंने कुमाऊं आयुक्त के तबादले को भी सरकार की जांच दबाने की मंशा से जोड़ा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीएम तो सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं और केंद्रीय मंत्री सरकार को धमका रहे है। विधायक करन माहरा ने कहा कि राज्य में डबल इंजन तो लगा है। लेकिन एक 10 हार्सपावर का इंजन आगे खीच रहा है तो 100 हार्सपावर का विपरीत दिशा में। चर्चा में विधायक काजी निजामुद्दीन, गोविंद सिंह कुंजवाल, प्रीतम सिंह, आदेश चौहान और मनोज रावत ने भी हिस्सा लिया।
सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य़मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि सरकार मामले की सीबीआई जांच ही चाहती है। लेकिन अब यह सीबीआई पर निर्भर है कि वो इसे हाथ में लेती है या नहीं। पंत ने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक कुल 13 मामलों में सीबीआई जांच की सिफारिश की है। इनमें से सीबीआई ने 12 मामले स्वीकार नहीं किए और एक अभी विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच एसआईटी कर रही है और किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पीकर ने इस सूचना को अग्राह्य कर दिया। कांग्रेसी विधायकों ने इस पर भी हंगामा किया।
जमकर हुई दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंकः सदन में चर्चा के दौरान दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर जमकर हमले किए। विधायक करन माहरा ने कुमाऊं के नए आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट पर पर टिप्पणी को तो सत्ता पक्ष के लोगों ने सवाल उठाया कि अगर उनका आरोप सही है तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें पौड़ी का डीएम क्यों बनाया। सत्ता पक्ष की ओऱ से बार-बार यह कहा गया कि आखिकार यह घोटाला हुआ किस सरकार के समय में था। इस पर कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि वे लोग जांच की मांग कर रहे हैं। जांच से सबके चेहरे बे-नकाब हो जाएंगे। भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल बार-बार यही कहते रहे कि प्रश्नकाल को रोककर कांग्रेस दलित विरोधी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस कार्यालय पर धरना देंगे। दरअसल, कर्णवाल ने दलितों के मंदिरों में प्रवेश पर एक सवाल लगाया था और वो चाहते थे कि इस पर चर्चा जरूर हो।
और सदन में संसदीय मर्यादाएं हुईं तार-तारः सदन स्थगनकाल के दौरान भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल बार-बार कांग्रेस पर आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कई बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष औऱ विधायक प्रीतम का नाम लेकर टिप्पणियां की। विधायक हरीश धामी ने उन्हें रोका तो कर्णवाल ने तीखे लहजे में जवाब दिया। इस पर विधायक धामी उनकी सीट की ओर दौड़ पड़े। अन्य विधायकों ने किसी तरह से दोनों को उलझने से रोका। विधायक कर्णवाल बाद में तेज अंदाज में टिप्पणी करते रहे तो धामी एकबार फिर से उनकी सीट की ओर दौड़ पड़े। इस बार विधायक करन माहरा भी उनकी औऱ लपके। काबीना मंत्री अरविंद पांडे तेजी से आगे आए किसी तरह दोनों के बीच संभावित हाथापाई को रोका। दोनों ओर इसके बाद भी तेज आवाज में अनाप-शनाप कहा जाता रहा। फिर काबीना मंत्री मदन कौशिक ने किसी तरह से मामला शांत कराया।