News : भारत-अमेरिका के बीच होने वाली है बहुत बड़ी ट्रेड डील, ट्रंप ने दिए संकेत!
News : भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर एक बार फिर बड़ी हलचल शुरू हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं कि भारत और अमेरिका के बीच एक "बहुत बड़ी ट्रेड डील" जल्द हो सकती है। ट्रंप ने यह बयान अमेरिका में आयोजित “बिग ब्यूटीफुल बिल” कार्यक्रम के दौरान दिया, जहां उन्होंने चीन के साथ हुए व्यापार समझौते का ज़िक्र करते हुए भारत के साथ डील को अगला कदम बताया। 

News : ट्रंप ने क्या कहा?
अपने विशिष्ट अंदाज़ में ट्रंप ने कहा, “हमने चीन के साथ डील कर ली है, अब अगला नंबर शायद भारत का है। हम भारत को व्यापार के लिए खोलेंगे, और यह डील बहुत बड़ी होगी।” यह बयान आते ही वैश्विक मीडिया और निवेश बाजारों में हलचल मच गई है। भारत में भी इसे लेकर सरकारी हलकों और व्यापारिक जगत में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
News : भारत के लिए क्यों अहम है यह डील?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। भारत अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है और 2023-24 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 191 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच चुका है। एक मजबूत और व्यापक व्यापार समझौते से भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को अमेरिकी बाजार में और अधिक पहुंच मिल सकती है, जिससे भारत के कई सेक्टरों को फायदा होगा। मुख्य लाभार्थी सेक्टर हो सकते हैं:- टेक्सटाइल और गारमेंट्स
- जेम्स एंड ज्वैलरी
- फार्मास्यूटिकल्स
- आईटी और सेवा क्षेत्र
- ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स
News : अमेरिका को क्या मिलेगा?
अमेरिका भी इस संभावित व्यापार समझौते को एक नए अवसर के रूप में देख रहा है। वह भारत में अपने कृषि उत्पादों जैसे सोयाबीन, बादाम, वाइन, डेयरी और मांस उत्पादों के लिए बड़ा बाजार खोलना चाहता है। इसके अलावा रक्षा, मेडिकल डिवाइसेज़, ऑटो और एनर्जी सेक्टर में अमेरिकी कंपनियों की मौजूदगी बढ़ाने का लक्ष्य भी इस डील के तहत हो सकता है। हालांकि डील को लेकर उत्साह है, लेकिन दोनों देशों के बीच कुछ विवादित मुद्दे भी हैं, जिनपर सहमति बनना आसान नहीं होगा। इन मुद्दों में शामिल हैं:- कृषि पर टैरिफ: भारत अपने कृषि क्षेत्र को अमेरिकी दबाव में नहीं लाना चाहता और टैरिफ में कटौती को लेकर सतर्क है।
- डिजिटल डेटा और लोकलाइजेशन: अमेरिका चाहता है कि भारत डेटा को विदेशों में स्टोर करने की इजाजत दे, जबकि भारत अपनी डेटा सुरक्षा नीति को बनाए रखना चाहता है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): अमेरिका चाहता है कि भारत दवा कंपनियों को लेकर IPR कानूनों को और सख्त करे, जबकि भारत इसका विरोध करता रहा है।

News : भारत की तैयारियां
भारत सरकार इस संभावित डील को लेकर सक्रिय है। विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी अमेरिका के प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ्तों में उच्च स्तरीय वार्ताओं का एक और दौर शुरू हो सकता है। भारत की कोशिश यह है कि डील संतुलित हो, घरेलू बाजार की रक्षा करे और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करे। अमेरिका द्वारा कुछ टैरिफों पर दी गई छूट की 90 दिन की समयसीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस वजह से दोनों देशों पर दबाव है कि वे जल्द से जल्द किसी समझौते पर पहुंचें, ताकि व्यापारिक बाधाएं कम हो सकें और शुल्कों से राहत मिले।News : संभावित समझौते के बिंदु
- आयात-निर्यात पर टैरिफ में रियायत
- H1B वीजा और skilled professionals के लिए नई नीति
- डेटा सुरक्षा और व्यापार नियमों पर समझौता
- संयुक्त निवेश योजनाएं
- रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग