News : उत्तराखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की पहली महिला नीति लाने की घोषणा की है। यह नीति राज्य की मातृशक्ति को आत्मनिर्भर, सशक्त और समाज में प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के उद्देश्य से यह नीति तैयार की जा रही है, जो महिलाओं से जुड़े हर पहलू को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही है।
News : महिला नीति की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है जहां बड़ी संख्या में पुरुष रोजगार के लिए अन्य राज्यों या शहरों में पलायन कर जाते हैं। इसके चलते गांवों में महिलाएं ही खेती, बच्चों की परवरिश, पशुपालन और पारिवारिक जिम्मेदारियों का भार उठाती हैं। बावजूद इसके, उन्हें न तो पर्याप्त अधिकार मिलते हैं और न ही निर्णय लेने की स्वतंत्रता। ऐसे में एक समग्र महिला नीति समय की मांग थी।
मुख्यमंत्री ने इस बात को खुले शब्दों में स्वीकार किया कि महिलाओं के योगदान को अब तक समुचित पहचान नहीं मिली। इसी को सुधारने के लिए महिला नीति लाई जा रही है, जो उन्हें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाएगी।
News : नीति की मुख्य विशेषताएं क्या होंगी?
हालांकि नीति का पूरा ड्राफ्ट सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन कुछ अहम बिंदुओं की जानकारी सामने आई है:
- आर्थिक सशक्तिकरण: महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह (SHG) को और अधिक फंडिंग, बाजार से जोड़ने के लिए विशेष योजनाएं, और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।
- स्वास्थ्य और पोषण: ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। गर्भवती महिलाओं को विशेष सुविधा और देखभाल योजनाएं लागू होंगी।
- शिक्षा: बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति, डिजिटल शिक्षा केंद्र, और उच्च शिक्षा में आरक्षण जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
- सुरक्षा: महिला सुरक्षा को लेकर हर जिले में हेल्पलाइन, महिला थाने, और फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- राजनीतिक भागीदारी: ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम तक महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण और नेतृत्व विकास कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
- पलायन रोकथाम में भूमिका: पहाड़ों में रह रही महिलाओं के लिए आजीविका के स्थानीय साधन विकसित किए जाएंगे ताकि उन्हें और उनके परिवार को गांव छोड़ने की मजबूरी न हो।
News : नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी
मुख्यमंत्री धामी ने साफ किया है कि महिला नीति महिलाओं के अनुभव, समस्याओं और सुझावों के आधार पर तैयार की जा रही है। इसके लिए राज्यभर में महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जहां महिलाएं खुलकर अपने विचार और समस्याएं साझा कर रही हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नीति केवल कागजों पर न रह जाए, बल्कि वास्तविक धरातल पर लागू हो और असर दिखाए।
सीएम धामी ने कहा, “हमारी मातृशक्ति हमारे समाज की रीढ़ हैं। उनके बिना कोई भी विकास अधूरा है। ये महिला नीति केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि उनके सम्मान और हक की लड़ाई है।”
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड की यह नीति आने वाले समय में देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बनेगी। प्रदेश सरकार इसके लिए सभी विभागों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
News : महिलाओं ने जताई उम्मीदें
राज्यभर की महिलाओं ने मुख्यमंत्री के इस ऐलान का स्वागत किया है। महिला संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षित युवतियों का मानना है कि यह नीति वास्तव में तब सफल होगी जब इसे पूरी नीयत और नीति के साथ लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल निश्चित रूप से उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में नया मोड़ लाने वाली साबित हो सकती है। अगर इस नीति को जमीनी स्तर पर मजबूती से लागू किया गया, तो यह न केवल महिलाओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी नया अध्याय जोड़ेगी।
अब सबकी निगाहें नीति के आधिकारिक ड्राफ्ट और इसके क्रियान्वयन पर टिकी हैं। महिलाओं के भविष्य की दिशा तय करने वाला यह फैसला आने वाले समय में उत्तराखंड के सामाजिक परिदृश्य को भी गहराई से प्रभावित करेगा।
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