मोदी सरकार भारत को नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दे दी है। बता दें कि बुधवार को कैबिनेट बैठक में इस मामले पर फैसला लिया गया। इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं।
उन्होनें कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति। उन्होंनें साथ साथ यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए बड़े स्तर पर सलाह ली गई है। 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई।
सरकार की ओर से बताया गया कि नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है। वहीं सरकार की ओर से यह भी बताया गया था कि आज की व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है।
नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी। सरकार ने बताया कि मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे।
जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा।