लद्दाख: भारतीय सेना ने मंगलवार को उन ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें दावा किया गया था कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल किया था।
भारतीय सेना के एडिशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इंफॉर्मेशन (एडीजीपीआई) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया है, “पूर्वी लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों के इस्तेमाल पर मीडिया रिपोर्ट्स आधारहीन हैं। ये खबर फर्जी है।
क्या होते हैं माइक्रोवेव हथियार ?
दरअसल, माइक्रोवेव वेपंस को डायरेक्ट एनर्जी वेपंस भी कहा जाता है। इसके दायरे में लेजर और माइक्रोवेव वेपंस दोनों ही आते हैं। इस तरह के वेपंस बेहद घातक होते हैं। हालांकि, इस तरह के वेपंस से किए गए हमलों में शरीर के ऊपर बाहरी चोट के निशान या तो होते नहीं हैं या काफी कम होते हैं। लेकिन ये शरीर के अंदरूनी हिस्सों को खासा नुकसान पहुंचाते हैं।
दक्षिण चीन सागर में रॉयल आस्ट्रेलियन एयरफोर्स के पायलट इस तरह के हमले से दो चार हो चुके हैं। इस तरह के हमलों की एक बेहद खास बात ये होती है कि ये जमीन से हवा में, हवा से जमीन में या जमीन से जमीन में किए जा सकते हैं। इस तरह के हमले में एक हाई एनर्जी रेज को छोड़ा जाता है। ये किरणें इंसान के शरीर में प्रविष्ट कर उनके शरीर के हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
“माइक्रोवेव जिस तरह से घर में काम करता है। उसी तरह से ये वेपन भी काम करता है। इसमें एक मैग्नेट्रॉन होता है जो माइक्रोवेव तरंगें भेजता है। ये तरंगें जब किसी खाद्य पदार्थ से होकर गुजरती हैं तो वो गर्मी पैदा करती हैं. ये हथियार भी इसी सिद्धांत पर काम करते हैं।”
अमेरिका के पास है माइक्रोवेव हथियार
अमेरिका के पास माइक्रोवेव हथियारों में एक्टिव डिनाइल सिस्टम है। जिसे अमेरिकी वायुसेना ने बनाया है। इसका इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों को तितरबितर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा एक्टिव डिनाइल सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी तबाह करने की क्षमता रखता है। जानकारों ने बताया कि माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल कई तरह की मिसाइल को रोकने के लिए किया जाता है।