जानें कैसे पशुओं का बाजार बना शिक्षा का मंदिर?
जनपद संभल के विकास खंड रजपुरा तहसील गुन्नौर में एक विद्यालय ऐसा है, जहां पर स्कूल को बंद कर स्कूल परिसर में पशु खरीद-फरोख्त का काम किया जाता है। जिससे गरीब मासूम बच्चों की जिंदगी से टीचर और जिले के आला अधिकारी खिलवाड़ कर रहे हैं। इस पशु बाजार से महज 04 किलोमीटर की दूरी पर खंड शिक्षा अधिकारी का कार्यालय है और उसके बावजूद कोई भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं देता। क्या इसके बारे में अधिकारियों को जानकारी नहीं है। अगर जानकारी है तो विद्यालय परिसर में पशुओं की खरीद-फरोख्त के कार्य पर रोक क्यों नहीं लगाया गया है? जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकारी विद्यालयों को मॉडर्न और सुंदर बनाने में लगी हुई है। वहीं अध्यापक और अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बता दें विकास खंड के रजपुरा के गांव न्यौरा में एक आश्रम है, जहां पर एक सरकारी विद्यालय है। वहां पर शनिवार के दिन पशु बाजार और सब्जी बाजार लगती है। पशु को खरीदने वाले और बेचने वाले लोग इस सरकारी स्कूल पर कब्जा जमा लेते हैं और इस परिसर में पशुओं को खड़ा कर उनकी खरीद-फरोख्त का कार्य शुरू हो जाता है। यह पशु सरकारी विद्यालय के बरामदे तक पहुंच जाते हैं, लेकिन उनसे कुछ भी कहने को कोई भी अधिकारी तैयार नहीं होता है। जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। अगर इसमें सत्यता पाई जाती है तो निश्चित ही उन लोगों पर कार्रवाई की जाएगी जो पूरे मामले में दोषी होंगे।