भ्रष्टाचार पर वार, कुमाऊं आरएफसी धानिक बर्खास्त

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर आरएफसी कुमाऊं विष्णु सिंह धानिक को बर्खास्त कर दिया गया है। रूद्रपुर, काशीपुर व किच्छा के गोदाम के सत्यापन के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ता खाद्यान्न (गरीबों का खाद्यान्न) में गंभीर अनियमितताएं और दस्तावेजों में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी पाये जाने पर यह कार्रवाई की गई है।

राइस मिल के तत्कालीन डिप्टी आरएमओ सहित अन्य सभी संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ दो दिन के भीतर कठोर कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव एवं आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को निर्देशित किया गया है। स्वच्छ भारत दिवस पर भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री ने एक बडा कदम उठाया है। राज्य के गरीब वर्ग को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ता खाद्यान्न न मिलने एवं घटिया गुणवत्ता की शिकायत मुख्यमंत्री को मिली थी।

इस पर मुख्यमंत्री ने दो अगस्त, 2017 को एसआईटी गठित करने के आदेश दिए थे। एसआईटी की प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट में सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध न होने, दस्तावेजों में हेराफेरी करने के साथ ही अनेक स्तर पर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार सामने आया है। यह अनियमितताएं पिछले दो वर्षों में पाई गई हैं। इससे सरकार को राजस्व में करोड़ो रुपये की हानि भी दिखी है।

इस रिपोर्ट के अध्ययन के बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से आरएफसी कुमाऊं को बर्खास्त करने के आदेश दिए है। रिपोर्ट की प्रारम्भिक जांच के आधार पर प्रमुख सचिव एवं आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति ने आरएफसी कुमाऊं को बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। किसी भी प्रकार के विभागीय कार्य प्रभावित न हो इसके लिए अग्रिम आदेशों तक आरएफसी कुमाऊं का कार्यभार जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर को दिया गया है।

यह भी आदेश दिए गए है कि संपूर्ण खाद्यान्न व्यवस्था को राज्य में और अधिक पारदर्शी और सुदृढ बनाये जाने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर डॉ.नीरज खैरवाल ने इस संबंध में प्रमुख सचिव एवं आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को दो दिन पूर्व ही जांच रिपोर्ट सौंपी थी। इस जांच में हर केन्द्र, खाद्यान्न गोदाम व मण्डी स्थल पर गंभीर अनियमितता व कई खामियां पायी गयी। जिससे सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ो रूपये की हानि तो हुई ही साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों एवं छोटे काश्तकारों को भी योजनाओं का लाभ नही मिल पाया।

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