PM मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई | Nation One
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक चाचिका पर आज सुनवाई होगी। ‘लॉयर्स वॉयस’ नाम के एक संगठन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है।
संभावना है कि प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन.वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ इस मामले में सुनवाई करेंगे। बता दें कि 5 जनवरी को पंजाब दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में गंभीर चूक हुई थी।
बठिंडा एयरपोर्ट से हुसैनीवाली की ओर जाते समय उन्हें एक फ्लाइवओवर पर 15-20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा था। क्योंकि वहां कुछ किसान संगठन सड़क पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे।
इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की तरफ से जांच की जा रही है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के साथ ही तमाम राजनीतिक दल इसे पीएम की सुरक्षा चूक को बड़ी चूक बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी बचाव की मुद्रा में हैं।
मुख्यमंत्री चन्नी और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू तो प्रधानमंत्री पर इस मुद्दे को बेवजह तूल देने का आरोप भी लगा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रधानमंत्री की इस यात्रा के मद्देनजर किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित रिकॉर्ड को सुरक्षित और संरक्षित रखने का निर्देश दिया था।
पीठ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग गठित जांच समितियों को सुनवाई की अगली तारीख तक जांच का काम आगे न बढ़ाने को कहा था।
हालांकि, पीठ ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं दिया था, बल्कि संबंधित वकीलों को मौखिक तौर पर कहा था कि वे अदालत की भावनाओं से संबंधित अधिकारियों को अवगत कराएं।
पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
पंजाब सरकार, इसकी पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों से अपेक्षित रिकॉर्ड हासिल करने वाला यह अधिकारी महानिरीक्षक पद से नीचे का नहीं होगा।
याचिकाकर्ता ने पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक की व्यापक जांच की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में इस तरह की घटना न हो।
याचिका में सुरक्षा व्यवस्थाओं से संबंधित साक्ष्य को संरक्षित रखने, अदालत की निगरानी में जांच किए जाने तथा इस कथित चूक के लिए जिम्मेदार पंजाब सरकार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई है।