Gujarat : मोरबी हादसे में अब तक 141 की मौत, रेस्क्यू में जुटीं सेना और NDRF | Nation One

Gujarat :  गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के टूटने से अबतक 132 लोगों की मौत हो गयी। कई लोगों की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। हादसे में अबतक 177 लोगों को बचाया गया है।

एक निजी कंपनी द्वारा सात महीने तक पुल का मरम्मत कार्य करने के बाद इसे 5 दिन पहले ही जनता के लिए फिर से खोला गया था।

बड़ी बात है कि पुल को नगरपालिका का फिटनेस प्रमाणपत्र अभी नहीं मिला था और इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया।

Gujarat :  7 महीने से बंद था पुल, 5 दिन में ही हो गया धराशायी

मोरबी शहर में बना हैंगिंग ब्रिज करीब एक सदी से भी ज्यादा पुराना था। हादसे से पहले पुल में करीब 400 से अधिक लोग एक साथ चढ़ गये थे।

मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने कहा, पुल को 15 साल के लिए संचालन और रखरखाव के लिए ओरेवा कंपनी को दिया गया था।

इस साल मार्च में, इसे मरम्मत के लिए जनता के लिए बंद कर दिया गया था। 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर मरम्मत के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था।

उन्होंने कहा, मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। हालांकि स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।

हादसे के बाद गुजरात सरकार ने कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया है। कंपनी के खिलाफ धारा 304, 308, और 114 के तहत केस दर्ज किया गया है।

Gujarat : एक सदी से भी ज्यादा पुराना था पुल

जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट पर पुल के विवरण के अनुसार, यह एक इंजीनियरिंग चमत्कार था और यह केबल पुल मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति को दर्शाने के लिए बनाया गया था।

सर वाघजी ठाकोर ने 1922 तक मोरबी पर शासन किया। वह औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे और उन्होंने पुल का निर्माण करने का फैसला किया जो उस समय का कलात्मक और तकनीकी चमत्कार था।

Gujarat : इंजीनियरिंग का चमत्कार था मोरबी पुल

इसके अनुसार पुल निर्माण का उद्देश्य दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ना था। कलेक्ट्रेट वेबसाइट के अनुसार, पुल 1.25 मीटर चौड़ा था और इसकी लंबाई 233 मीटर थी।

इसके अनुसार इस पुल का उद्देश्य यूरोप में उन दिनों उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देना था।

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