देहरादून
अगर बिजली गए हुए 20 मिनट से अधिक समय हो गया है तो अधिशासी अभियन्ता को तत्काल क्षेत्र में उपस्थित होना होगा। इसके साथ ही जेई और एई को भी अधिकतर समय फील्ड में गुजारना होगा, ताकि विद्युत समस्याओं एवं शिकायतों का तत्काल समाधान किया जा सके। खराब पड़े फीडरों में तत्काल सुधार लाया जाए। विद्युतीकरण की जद से बाहर 64 गांवों तक बिजली की आपूर्ति अक्टूबर 2017 तक आवश्यक रूप से पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
सचिवालय में गुरुवार उत्तराखंड पावर कॅारपोरेशन की समीक्षा करते हुए सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की परफोर्मिंग रेटिंग(एसीआर) मुख्यतः विद्युत उपलब्धता, राजस्व वसूली तथा एटी एंड सी हानि जैसे मानकों पर आधारित होगी। उन्होंने इन मानकों पर आधारित वार्षिक लक्ष्य सर्किलवार बनाने के निर्देश दिए। इन मानकों को विभागीय स्थानान्तरण नीति में भी शामिल किया जाए। उन्होंने प्रबंध निदेशक व निदेशक सहित समस्त अधिकारियों को रोस्टर बनाकर नियमित रूप से क्षेत्र भ्रमण करने के निर्देश दिए, ताकि हर सर्किल की परफॉरमेंस का सम्यक आकलन हो सके।
सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य में ओद्यौगिक प्रतिष्ठानों को आकर्षित करने के लिए ओद्यौगिक फीडरों से होने वाली विद्युत आपूर्ति में और अधिक सुधार लाया जाए। राजस्व में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित किए जाने के लिए बिलिंग सक्षमता, विशेषकर ओद्यौगिक उपभोक्ताओं से शत-प्रतिशत किए जाने की अपेक्षा की गई।
बैठक में विद्युत आपूर्ति में जनपदों की रैंकिंग की गई, जिसमें मसूरी, पौड़ी उत्कृष्ट, जबकि लक्सर, लंढौर व गदरपुर निम्नतर पाए गए है। इसी प्रकार एटी एंड सी. हानि सर्वाधिक रूडकी(शहरी), विकासनगर तथा लक्सर से पाई गई। जबकि हरिद्वार(ग्रामीण), देहरादून व कोटद्वार डिविजनों में यह न्यूनतम रही। सचिव ने निर्देश दिए कि शट-डाउन की संख्या एवं समयावधि में तत्काल प्रभावी कमी लाई जाए तथा किसी भी प्रकार की नियोजित विद्युत कटौती की पूर्व सूचना समाचार पत्रों के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाई जाए। बैठक में अपर सचिव ऊर्जा रणवीर सिंह चौहान, यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा, चारों जोन के मुख्य अभियंता, सहायक अभियंता, मुख्यालय का निदेशक मंडल उपस्थित रहा।