पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बयान पर कांग्रेस पार्टी में छिड़ी बहस
रविवार सुबह असंतोष की शुरुआत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को पार्टी के कप्तान के रूप में बरकरार रखने का आदेश आने के चंद घंटे बाद ही पार्टी में शुरू हो गया।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बयान के साथ असंतोष शुरू हुई और शाम होते होते बात पूर्व सीएम हरीश रावत और वर्तमान अध्यक्ष प्रीतम सिंह तक चली गई। मीडिया से बातचीत में किशोर ने विधानसभा में पार्टी की हार के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही सवाल उठाया कि जब और प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदले गए तो फिर भला मुझे क्यों हटाया गया?
किशोर की पीड़ा सामने आने के चंद घंटे बाद ही हरीश रावत ने पार्टी में खुली बहस कराने की पैरवी कर डाली। उन्होंने कहा कि वो हर पक्ष सुनने को और अपनी बात रखने को तैयार हैं। देर शाम प्रीतम ने पार्टी नेताओं को परस्पर दोषारोपण के बजाए कांगे्रस की मजबूती के लिए काम करने की अपील की। साथ ही नसीहत भी दी कि हाईकमान के फैसले को सभी को स्वीकार करना ही होगा।
कांग्रेस सरकार हारी थी, संगठन नहीं: उपाध्याय
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस संगठन नहीं बल्कि कांग्रेस की सरकार हारी थी। आप वोट प्रतिशत देख लीजिए, कांग्रेस किसी स्तर पर नहीं पिछड़ी। हमारी सरकार ही फ्लोटिंग वोट को नहीं लुभा पाई, जिसका नतीजा हार के रूप में सामने आया। मैं सोचता हूं कि अन्य कई राज्यों में भी कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा है, पर वहां अध्यक्ष नहीं बदला गया। जबकि यहां परिवर्तन हो गया।
अब चुनाव नतीजों पर मुझे नहीं कहनाः हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों पर अब मुझे कुछ नहीं कहना है। मैंने गवर्नर को इस्तीफा देने के साथ ही पहले ही दिन हार की जिम्मेदारी स्वीकार कर ली थी। यदि नेतागण चाहें तो पार्टी में खुली बहस रख लें। मैं सबकी बात सुनने को तैयार हूं और अपना पक्ष भी रखूंगा। वैसे अब जरूरत एकजुट होकर आगे बढ़ने की है।
हाईकमान का निर्णय सर्वस्वीकार्यः प्रीतम सिंह
प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस प्रीतम सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारी सरकार ने काम नहीं किया था। सरकार ने पूरा प्रयास किया कि अच्छा परिणाम आए, पर ये तो चुनाव हैं। अब दोषारोपण का वक्त नहीं है। सभी को पार्टी की मजबूती के लिए एकजुट होकर साथ चलना होगा। रही बात अध्यक्ष की नियुक्ति की तो यह हाईकमान का निर्णय है। हाईकमान का निर्णय सर्वस्वीकार्य है।