- सप्ताह में तीन दिन शाम चार से छह बजे तक दो सेशन में होंगी म्यूजिक क्लासेज
- गायन, वादन और नृत्य की ट्रेनिंग देकर निखारा जाएगा बच्चों का टैलेंट
- अनुभवी प्रशिक्षक दीप्ति खंडूड़ी, विनोद असवाल, विवेन राजौरियो देंगे प्रशिक्षण
देहरादून
मानवभारती स्कूल परिसर में सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है। इस सेंटर में संगीत की सभी विधाओं गायन, वादन और नृत्य की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों के टैलेंट को तलाशना, निखारना और सही प्लेटफार्म पर परफॉरमेंस का अवसर उपलब्ध कराना है।
मानवभारती स्कूल में छात्र-छात्राओं को रचनात्मक और सकारात्मक एक्टीविटी से जोड़ने की पहल की जाती रही है। सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट की स्थापना भी इसी की एक कड़ी है। लंबे समय से संगीत अध्यापन कर रहे अनुभवी प्रशिक्षक दीप्ति खंडूड़ी, विनोद असवाल और विवेन राजौरियो सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट में प्रशिक्षण देंगे। सेंटर में क्लासिकल, सेमीक्लासिकल, बालीवुड और लोक नृत्य तथा भारतीय शास्त्रीय गायन की शिक्षा दी जाएगी। वाद्य यंत्र सीखने के इच्छुक छात्र-छात्राओं को गिटार, की बोर्ड, ड्रम और तबले का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सेंटर का समय
म्यूजिक क्लासेज सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को शाम चार से छह बजे तक दो सेशन में चलेंगी। इच्छुक अभिभावक सेंटर संबंधी जानकारी के लिए शाम चार से छह बजे तक मानवभारती स्कूल में संगीत प्रशिक्षकों से संपर्क कर सकते हैं।
बच्चों के लिए म्यूजिक क्योंं जरूरी
एक रिसर्च के अनुसार टीवी,वीडियो गेम और मोबाइल के साथ ज्यादा समय बिताने की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी और पढ़ाई में ध्यान नहीं लगने की समस्या सामने आती है। म्यूजिक का जीवनशैली और सीखने की क्षमता पर असर जानने के लिए कुछ रिसर्च के नतीजों
पर नजर डालते हैं।
- अध्ययन बताते हैं कि संगीत एक ऐसी साधना है, जो सीखने की क्षमता बढ़ाता है। किसी भी वाद्य यंत्र को बजाते समय केवल आवाज और अंगुलियों में ही तारतम्य स्थापित नहीं होता, बल्कि यह इससे कहीं ज्यादा है। म्यूजिक सीखने के दौरान बच्चोंं के कानों, आंखों और शरीर की छोटी से बड़ी मांसपेशियों के बीच समन्वय बनता है। म्यूजिक हर तरह से सीखने की क्षमता में वृद्धि करता है। इससे बहुआयामी विकास होता है।
- म्यूजिक दो से नौ साल की आयु के बच्चों की भाषा को विकसित करने में सहयोग करता है। यह वह समय होता है, जब बच्चा ध्वनि और शब्दों को समझने लगता है। म्यूजिक एजुकेशन बच्चों की नैसर्गिक क्षमताओं को बढ़ाती है। संगीतमय माहौल में पलने ,बढ़ने वाले बच्चों की भाषा अन्य की तुलना में ज्यादा बेहतर होती है। लेकिन इस कुदरती क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्साहवर्द्धन और निरंतर अभ्यास कराने तथा उनको प्रेरित करते रहने की जरूरत होती है। यह पहल घर में या फिर किसी म्यूजिक एजुकेशन सेंटर से की जा सकती है।
- म्यूजिक वर्कशॉप में शामिल होने का असर बच्चों के भाषा विकास के दौरान मस्तिष्क में देखा गया है। येल स्कूल अॉफ मेडिसिन के हालिया अध्ययन में बताया गया है कि म्यूजिक ट्रेनिंग के दौरान लेफ्ट ब्रेन के कुछ हिस्सों का विकास होता है, जो भाषा को तेजी से समझने में मदद करता है।