महासंकट: अफगानिस्तान पर तालिबान का आतंक,राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दिया इस्तीफा | Nation One
रिपोर्ट : दीक्षा अरोरा
अमेरिका के नेतृत्वल में 20 साल पहले दावा हुआ कि अफगानिस्ता न से तालिबानी शासन का अंत हो गया है लेकिन इन सब बातों को झूठलाते हुए पिछले कुछ दिनो में तालिबान ने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है और हालात यह हैं कि राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्ता छोड़कर विदेश जा चुके हैं। वहीं दूसरी ओर काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिको की तरफ से हुई फायरिंग में पाचं लोगो की मौत हो गई है। जिसके बाद एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है।
क्या है तालिबान शासन ?
जानकारी के लिए बता दें कि उत्तरी पाकिस्तांन के एक मदरसे में तालिबान का जन्म हुआ। लोग तालिबान को इसलिए पसंद करते थे क्योंकि उनका वादा था कि भ्रष्टाचार और अराजकता खत्म कर देंगे लेकिन तालिबान के हिंसक रवैये और क्रूर सजाओं ने जनता में काफी आतंक फैला दिया।
तालिबान ने लगाई रोक
तालिबान ने संगीत, टीवी और सिनेमा पर रोक लगा दी और मर्दों को दाढ़ी रखना जरूरी हो गया था, महिलाएं बिना सिर से पैर तक खुद को ढके बाहर नहीं निकल सकती थीं। बता दें कि तालिबान का कब्जा पहले भी हो चुका है। तालिबान ने 1995 में हेरात और 1996 में काबुल पर कब्जा कर लिया था और 1998 में पूरे अफगानिस्तान पर हुकूमत हो चुकी थी।
तालिबान का आतंक
तालिबान का नेतृत्व क्वेटा शूरा नाम की काउंसिल करती है। बता दें कि मावलावी हैबतुल्ला अखुंदजादा तालिबान का कमांडर है और सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी भी तालिबान का हिस्सा है।
कैसे कर रहा तालिबान कब्जा?
बता दें कि 2014 से अफगानिस्तान अमेरिका सैनिकों की संख्या में कटौती कर रहा है। दरहसल तालिबान इस बीच अपनी पकड़ मजबूत करता रहा। जब तालिबान को अमेरिका सैनिकों की वापसी की खबर मिली तो तालिबान को हमले का मौका मिल गया। जानकारी के मुताबीत फिलहाल अफगानिस्तान में अमेरिका का एक भी लड़ाकू विमान नहीं है। वहां दूसरी ओऱ तालिबान के पास करीब 85,000 लड़ाके हैं और वे पिछले 20 सालों की सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं।
बताया जा रहा है कि कुछ महीनों पहले ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से सेना हटाने की घोषणा की थी। जिसके बाद से तालिबान ने उन-उन इलाकों पर कब्जा कर लिया और हर राज्य की राजधानी पर तालिबान का शासन हो गया है।
कब से अस्थिर है अफगानिस्तान?
बता दें कि अफगानिस्तान में अस्थिरता का पांच दशक से भी पुराना है। 1933 में जाहिर शाह को गद्दी मिली।
इसके बाद चार दशक तक शांति रही। 1973 में अफगानिस्तान एक गणतंत्र घोषित हुआ लेकिन 1979 में सोनियत आर्मी ने हमला बोल दिया औऱ कम्युनिस्ट सरकार का गठन किया गया और 2004 में अफगानिस्तान का नया संविधान बना जिसके तहत 2009 में अमेरिका ने कहा कि वह 1,40,000 सैनिक और भेजेगा।
2020 आते-आते तालिबान की पकड़ खासी मजबूत हो चुकी थी। 9 सितंबर 2021 जिससे पहले अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ना होगा।
क्या है अफगानिस्तान के हालात?
जैसै की हम जानते ही है तालिबान ने खूनी संघर्ष से अफगानिस्तान में भयानक खौफ पैदा कर दिया है। इसी बीच तालिबान को अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने जिलों के बाद शुक्रवार को कंधार पर भी कब्जा कर लिया है। अब सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी काबुल उससे बची हुई है। जानकारी के लिए बता दें कि काबुल के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
गजनी और हेरात भी कब्जे में
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से तालिबान पूरी ताकत के साथ सत्ता कब्जाने की कोशिश में लगा है और काफी इलाकों पर कब्जा कर भी चुका है।
बता दें कि कंधार पर फतह पाने से पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था। इस तरह से आतंकवादी संगठन अब तक 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है औऱ अब टारगेट राजधानी काबुल है।
कहां है तालिबान? कब करेगा काबुल पर कब्जा?
बता दें कि तालिबानी काबुल से सिर्फ 130 किलोमीटर की दूरी पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार तालिबान 3 महीने के अंदर राजधानी काबुल पर कब्जा कर सकता है। इससे काबुल में दहशत का माहौल बन गया है। सेव द चिल्ड्रन के मुताबिक घरों से भागकर काबुल में शरण लेने वालों में 72,000 बच्चे भी शामिल हैं जिनके पास रोटी और दवाई के लिए पैसे तक नहीं बचे हैं क्योंकि तालिबान के कब्जाए शहरों में इनके घर जला दिए गए हैं।
राष्ट्र ने पड़ोसी देशों से उनकी सीमाएं खुली रखने का आग्रह किया है। जानकारी के मुताबित 24-48 घंटों में काबुल हवाई अड्डे पर 3 बटालियनों को ट्रांसफर किया जाएगा। इसी बीज बताया जा रहा है कि गजनी शहर के बाहर स्थित एक सैन्य प्रतिष्ठान और खुफिया ठिकाने पर छिटपुट लड़ाई चल रही है।
किन- किन इलाकों पर तालिबान ने किया कब्जा
तालिबान ने अब तक जरांज, शेबरगान, सर-ए-पुल, कुंदुज, तालोकान, ऐबक, फराह, पुल ए खुमारी, बदख्शां, गजनी, हेरात और कंधार पर कब्जा कर लिया है।
तालिबान ने केवल इलाकों पर ही नही बल्कि भारत द्वारा अफगानिस्तान बलों को भेट किए गए एमआई-24 हमले के हेलीकॉप्टर को अपने नियंत्रण में ले लिया है।
US भेजेगा सैनिक
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने घोषणा की कि अमेरिकी रक्षा विभाग काबुल से एंबेसी के कर्मचारियों को निकालने के लिए अफगानिस्तान में सेना भेजेगा। तालिबान तेजी से काबुल की ओर बढ़ रहा है। उसके रास्ते में जो भी शहर आ रहा है, उसे वह अपने कब्जे में ले रहा है औऱ अब जलालाबाद मे कब्जा जमा लिया है।
जलालाबाद पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल का अफगान के पूर्वी हिस्से से संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। वहीं दूसरी ओर सांसद अबरारुल्लाह ने बताया कि अफगानिस्तान में एक मजबूत शहर पर कब्जा कर लिया गया है, जो अफगान सरकार के लिए काफी बड़ा झटका है।
राष्ट्रपति ने दिया इस्तीफा, देश छोड़कर हुए रवाना
अफगान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने रविवार को इस्तीफा दे दिया है और राष्ट्रपति गनी देश छोड़कर ताजिकिस्तान जा रहे हैं। इसी बीच तालिबान शासन के तहत मुल्ला अब्दुल गनी अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति होंगे और तालिबान कमांडर अली अहमद जलाली को नया प्रमुख नियुक्त किया जाएगा। तालिबान ने कहा सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्वक होगा और काबुल के किसी निवासी पर हमला नहीं होगा।
सूत्रों के मुताबिक काबुल की पुलिस भी अब आत्मसमर्पण करने लगी है। वह अपने हथियार तालिबान को सौंप रही है। वहीं दूसरी ओर तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश कर गए हैं और देश की सभी सीमाओं पर कब्जा भी कर लिया है।
तालिबान ने जारी किया एक बयान
जैसै ही तालिबान के आतंकी काबुल में घुसे उन्होने एक बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि उनका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं है। तालिबान ने अपने लड़ाकों को काबुल में नहीं घुसने को और सीमाओं पर ही इंतजार करने को कहा है। वहीम अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जाकवाल ने आश्वासन दिया कि सुरक्षा बल शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और शांति बनी रहेगी ।