हाथरस कांड में पीड़ित पक्ष को बड़ा झटका, याचिका खारिज | Nation One
लखनऊः हाथरस कांड में पीड़ित परिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने प्रशासन पर उन्हें जबरन घर में कैद करने का आरोप लगाया था. हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर याचियों को सुरक्षा दी गई है. ऐसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने पीड़िता के पिता ओम प्रकाश और 6 अन्य की याचिका पर दिया है.
याचियों का कहना था कि वाट्सएप संदेश के जरिये पीड़िता के परिवार ने महमूद प्राचा व अन्य को वकील बनाया है. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने इस याचिका पर आपत्ति करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका विचाराधीन है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पीड़िता के परिवार व गवाहों को सुरक्षा दी गई है. परिवार ने किसी को भी वकालतनामे देकर याचिका दाखिल करने के लिए अधिकृत नहीं किया है. अधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि परिवार को पर्सनल गार्ड दिए गए हैं. घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, ताकि कोई असामाजिक तत्व घर में न घुस सके. याचियों ने प्रशासन से कभी नहीं कहा वे बाहर जाना चाहते हैं. किसी को रोका नहीं गया है. वे स्वतंत्र हैं. अनपढ़ गरीब परिवार वालों को पता ही नहीं है कि संस्थाएं व राजनीतिक दल उनका इस्तेमाल कर रहे हैं.
आपको बता दें, हाथरस केस में सीबीआई जांच हो या नहीं, इसे लेकर अभी संशय की स्थिति बनी हुई है. योगी सरकार ने 5 दिन पहले मामले की जांच के लिए केंद्र को इसी अनुशंसा की थी. अभी तक सीबीआई की ओर से इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला है. देशभर में चर्चित इस मामले में सीबीआई की ओर से शिथिलता बरतने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. सीबीआई ने ना तो अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज की है और न ही घटना से संबंधित दस्तावेज स्थानीय पुलिस से तलब किए हैं. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई इस मामले में 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहा है. शासन की ओर से इस मामले में पहले ही एसआईटी का गठन किया जा चुका है. पहले एक सप्ताह में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन, नए तथ्य सामने आने के बाद इस समय 10 दिन के लिए और बढ़ा दिया गया.