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RBI ने फिर दिया झटका, पेटीएम के बाद Visa-Mastercard पर चलाया डंडा, पढ़ें | Nation One
RBI : भारतीय रिजर्व बैंक ने मास्टरकार्ड और VISA कार्ड से बिजनेस पेमेंट पर रोक लगा दी है. इस फैसले ने पूरे फाइनेंशियल सेक्टर में हलचल पैदा कर दी है और बिजनेसेज और कंज्यूमर्स पर इसके प्रभाव के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं. आइए, यहां पर समझते हैं कि RBI के इस फैसले का बिजनेस और कंज्यूमर्स पर क्या असर होगा?
RBI ने यह फैसला डेटा लोकलाइजेशन और अनुपालन इश्यूज पर चिंताओं की वजह से लिया है. केंद्रीय बैंक पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से भारतीय यूजर्स की फाइनेंशियल जानकारी की सेक्योरिटी और सॉवरेनिटी सुनिश्चित करने के लिए लोकल लेवल पर डेटा कलेक्ट करने का आग्रह करता रहा है.
मास्टरकार्ड और वीजा दोनों को इन नियमों का अनुपालन करने के लिए निर्देशित किया गया है, ऐसा न करने पर उन्हें देश में अपने ऑपरेशन पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा.
RBI : बिजनेस पर क्या होगा असर?
पेमेंट सर्विस में रुकावटें : ट्रांजैक्शन के लिए मास्टरकार्ड और वीजा पर निर्भर बिजनेसेज को उनकी पेमेंट सेवाओं में व्यवधान का अनुभव हो सकता है. यह ई-कॉमर्स, रीटेल, हास्पिटैलिटी और अन्य कई सेक्टर्स को प्रभावित कर सकता है.
ऑप्शन की करें तलाश: मास्टरकार्ड और वीजा के अस्थायी रूप से तस्वीर से बाहर होने के कारण, बिजनेसेज को अपने ऑपरेशन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक पेमेंट सल्यूशन तलाशने की आवश्यकता होगी. इसमें अन्य पेमेंट गेटवे या प्लेटफॉर्म को अपनाना शामिल हो सकता है जो RBI नियमों का अनुपालन करते हैं.
राजस्व की संभावित हानि: पेमेंट प्रासेस में किसी भी रुकावट से बिजनेसेज के लिए राजस्व की हानि हो सकती है, खासकरके, उन बिजनेसेज के लिए जो कार्ड ट्रांजैक्शन पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इससे नकदी प्रवाह और समग्र लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है.
RBI : कंज्यूमर्स के लिए क्या हैं मायने?
सीमित पेमेंट ऑप्शन: ट्रांजैक्शन के लिए मास्टरकार्ड और वीजा कार्ड का इस्तेमाल करने के आदी हो चुके कंज्यूमर्स को इस रोक से असुविधा का सामना करना पड़ सकता है. स्थिति का समाधान होने तक उन्हें अन्य पेमेंट विधियों, जैसे डेबिट कार्ड, UPI या डिजिटल वॉलेट पर निर्भर रहने की आवश्यकता हो सकती है.
सुरक्षा संबंधी चिंताएं: डेटा लोकलाइजेशन नियमों का मकसद यूजर्स की फाइनेंशियल जानकारी की सेक्योरिटी बढ़ाना है. हालांकि, पेमेंट सर्विसेज में अचानक रुकावट आने से कंज्यूमर्स के बीच डिजिटल ट्रांजैक्शन की सेक्योरिटी और विश्वसनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं.
RBI : क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
विनियमों का अनुपालन: मास्टरकार्ड और वीजा को डेटा लोकलाइजेशन के संबंध में RBI नियमों का अनुपालन करने के लिए अपने प्रयासों में तेजी लानी चाहिए. इससे न केवल भारत में उनका ऑपरेशन बहाल होगा बल्कि यूजर के डेटा की सेक्योरिटी और गोपनीयता भी सुनिश्चित होगी.
ऑप्शन की तलाशना: बिजनेसेज और कंज्यूमर्स को समान रूप से मार्केट में उपलब्ध आल्टरनेटिव पेमेंट ऑप्शन तलाशने चाहिए. इसमें पेमेंट गेटवे में डायवर्सिफिकेशन लाना या फिनटेक सेक्टर में उभरती टेक्नोलॉजीज को अपनाना शामिल हो सकता है.
सरकार-इंडस्ट्री को-ऑपरेशन: कारोबार और कंज्यूमर हितों में दिक्कतों को कम करते हुए अनुपालन इश्यूज को प्रभावी ढंग से एड्रेस करने के लिए नियामक अधिकारियों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच कांस्ट्रक्टिव निगोसिएशन और को-ऑपरेशन की आवश्यकता है.
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