अल्मोड़ा जिले के कुमाऊं व गढ़वाल की सीमा पर स्थित मां कालिंका मंदिर में ऐतिहासिक मेला शुरू हो गया है। मेले में श्रद्धालुओं का सेलाब उमड़ पड़ा। प्रत्येक तीन वर्ष में होने वाले जतौड़ा कौतिक (मेले) में शनिवार को श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। खास बात कि इस बार प्राचीन धार्मिक आयोजन में पशु बलि के बजाय नारियल चढ़ाए जाएंगे।
सराई खेत का सुप्रसिद्ध प्राचीन जतौड़ा मेला शनिवार को शंखनाद व घंटे घड़ियालों की गूंज के साथ शुरू हो गया। सुबह से ही दूरदराज से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। दोपहर बाद आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। दिन भर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां कालिंका की विशेष पूजा अर्चना शुरू.हुई। मेला तीन दिन चलेगा।
हजारों की संख्या में पंहुचे श्रद्धालु
बीरोंखाल ब्लाक में हर तीन साल के अंतराल में लगने वाले इस मेले का आयोजन 13 गांवों के बडियारी रावत जाति के लोग करते हैं। शनिवार सुबह से काली के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अंजाद इस बात से लगाया जा सकता हैं कि मेले में सुबह से गढ़वाल और कुमांऊ जनपदों से हजारों की संख्या में पंहुचे श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हो गया था।
मेले में बीरोंखाल, मैठाणाघाट, रसियामहादेव, बैजरों, जोगीमणी, उफरैखाल, ललितपुर, मगरोंखाल, कुलांटेश्वर, सहित जिला अल्मोड़ा के श्रद्धालु आए थे। काली मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने से लोंगों को छत्र व नारियल चढ़ाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी।
कालिंका मंदिर समिति के अध्यक्ष ज्ञान सिंह रावत ने बताया की इस बार मंदिर परिसर में बलि प्रथा पर पूरी तरह रोक लगा रखी थी और श्रद्धालुओं ने भी छत्र, नारियल चढ़ा कर काली की पूजा की। मेले में उदय सिंह रावत, बसंत सिंह रावत, दीवान सिंह रावत, मंगत सिंह, जसवंत सिंह, बलवंत सिंह सहित दोनों जिलों का पुलिस बल तैनात था।