UP : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के करीब 1.5 लाख शिक्षामित्रों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। वर्षों से स्थायी नियुक्ति और वेतनमान की मांग कर रहे शिक्षामित्रों को सरकार ने राहत देने की दिशा में ठोस कदम उठाया है।
यह निर्णय न केवल शिक्षामित्रों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है।
UP : क्या है नया फैसला?
योगी सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए मानदेय में वृद्धि और सेवा शर्तों में सुधार को हरी झंडी दे दी है। अब शिक्षामित्रों को न केवल बेहतर वेतन मिलेगा, बल्कि उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह सेवायोजन सुरक्षा, छुट्टियाँ, और भविष्य निधि (PF) जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि “शिक्षामित्र राज्य की शिक्षा रीढ़ हैं, और उनका सम्मान तथा भविष्य सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।” इस निर्णय के बाद शिक्षामित्रों को प्रतिमाह ₹10,000 से बढ़ाकर ₹15,000 तक का मानदेय मिल सकता है, हालांकि अंतिम राशि की आधिकारिक पुष्टि जल्द ही की जाएगी।
प्रदेश में वर्तमान में करीब 1.5 लाख शिक्षामित्र प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात हैं। यह लाभ सभी कार्यरत शिक्षामित्रों को मिलेगा जो कि नियमानुसार सेवाएं दे रहे हैं और राज्य सरकार के रिकॉर्ड में पंजीकृत हैं।
UP : क्यों जरूरी था यह फैसला?
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति एक अस्थायी व्यवस्था के तहत वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में की गई थी। इनका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षक संकट को दूर करना था। हालांकि, वर्षों बीतने के बाद भी इन्हें स्थायी नहीं किया गया और इनका मानदेय बहुत ही सीमित रहा।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त करने को रद्द कर दिया था, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों की नौकरी पर संकट आ गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इन्हें अस्थायी तौर पर पुनः नियुक्त किया, लेकिन वेतन और अधिकारों के मामले में ये हमेशा पीछे रहे।
UP : अब तक क्या मिला शिक्षामित्रों को?
₹10,000 प्रतिमाह मानदेय
केवल सीमित अवकाश सुविधाएं
कोई भविष्य निधि या ग्रेच्युटी नहीं
स्थायी नियुक्ति की उम्मीद अधूरी रही
UP : अब क्या बदलाव होंगे?
सरकार के नए निर्णय के बाद शिक्षामित्रों को –
बढ़ा हुआ मानदेय
छुट्टियों की सुविधा
सेवा शर्तों में स्थायित्व
भविष्य निधि और सामाजिक सुरक्षा का कवरेज
UP : राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम फैसला
यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भी देखा जा रहा है। शिक्षामित्रों ने कई बार आंदोलन और धरने किए हैं। अब सरकार का यह कदम राजनीतिक रूप से भी लाभकारी साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सरकारी कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास कर दिया गया है और इसे आगामी सत्र में अमल में लाया जाएगा। साथ ही, शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर एक स्थायी समिति भी गठित की जा रही है, जो भविष्य में उनकी पदोन्नति और स्थायित्व की संभावनाएं भी तलाशेगी।
UP : शिक्षामित्रों की प्रतिक्रिया
राज्य के विभिन्न जिलों से आए शिक्षामित्र संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। लखनऊ में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष ने कहा, “योगी सरकार ने हमारी वर्षों पुरानी मांग को सुना और उसे अमल में लाने का भरोसा दिलाया। हम इसके लिए आभार प्रकट करते हैं, लेकिन पूर्ण स्थायित्व की हमारी मांग बनी रहेगी।”
योगी सरकार का यह फैसला निश्चित ही शिक्षामित्रों के जीवन में एक नई उम्मीद लेकर आया है। लंबे समय से अस्थायित्व का सामना कर रहे इन कर्मचारियों को अब सरकारी मान्यता और सुविधाएं मिलने की उम्मीद है। यदि यह योजनाएं तय समय पर अमल में आती हैं, तो यह न केवल शिक्षामित्रों को राहत देगी, बल्कि राज्य की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में भी सुधार का रास्ता प्रशस्त करेगी।
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