एक दिन उसने ग्रामीणों को एक जोक सुनाया। ग्रामीण ठहाके मारकर हंसने लगे। थोड़ी देर में उसने फिर वही जोक सुना दिया। इस बार लोग पहले से कम हंसे। तीसरी बार भी वही जोक सुना दिया। लोग मुस्करा कर रह गए। चौथी बार कोई न तो मुस्कराया और न ही हंसा। जोक पर लोगों को कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर चतुर व्यक्ति ने कहा, अब आप लोग बताओ, जब आप एक ही जोक पर बार-बार नहीं हंस सकते तो हमेशा एक ही समस्या पर बार-बार रोने का क्या मतलब है।
यह कहानी इशारा करती है कि घबराने या चिंता करना किसी समस्या का हल नहीं है। यह पूरी तरह समय और ऊर्जा को बर्बाद करने जैसा है।