नई दिल्ली। जीएसटी को लेकर आलोचनाएं झेल रही सरकार ने कारोबारियों, निर्यातकों और छोटे कारोबारियों की चिंताएं दूर करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार दिनभर चली 22वीं बैठक के बाद दीपावली से पहले आम आदमी और छोटे कारोबारियों को उपहार दिया है।
रोटी, खाखरा, अनब्रैंडेड नमकीन और सूखा आम को 12 फीसदी टैक्स दायरे से हटा दिया गया है। अब इन पर पांच फीसदी टैक्स लगेगा।चाइल्ड पैकेज्ड फूड और स्टेशनरी पर भी अब कम टैक्स लगेगा। अब तक इन पर 12 फीसदी टैक्स लिया जा रहा था, जिसे घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।
आने वाले दिनों में कपड़े भी सस्ते होंगे। कपड़ा बनाने के लिए उपयोग होने वाले मानव निर्मित धागे पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है। सिन्थेटिक फिलामेंट यार्न पर भी टैक्स में इतनी ही कमी की गई है। जरी के काम और आर्टिफिशल ज्वैलरी पर 12 फीसदी जीएसटी लगाई गई थी, जिसे घटाकर अब पांच फीसदी कर दिया गया है।
आयुर्वेदिक और होम्योपथी दवाएं सस्ती होंगी। इन पर 12 फीसदी की बजाय पांच फीसदी टैक्स वसूलने का फैसला किया गया है।
संगमरमर और ग्रेनाइट को छोड़कर बाकी पत्थरों पर टैक्स को घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। ई-कचरा, प्लास्टिक और रबर कचरा पर टैक्स घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।
डीजल इंजन पुर्जों अब तक 28 फीसदी की दर से जीएसटी वसूला जा रहा था, जिसे अब 18 फीसदी कर दिया गया है। इससे पंप पुर्जे के सस्ते होंगे। जीएसटी काउंसिल ने छोटे और मझोले उद्यमों को टैक्स भुगतान और रिटर्न दाखिल करने के मामले में बड़ी राहत दी है। सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को हर महीने के बजाय अब तिमाही रिटर्न भरना होगा।
डेढ़ करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाली कंपनियां जीएसटी में पंजीकृत कुल टैक्सपेयर्स आधार का 90 प्रतिशत हैं, लेकिन इनसे कुल कर का पांच से छह प्रतिशत टैक्स ही प्राप्त होता है। जीएसटी काउंसिल ने कंपोजिशन योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिए भी कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है।
निर्यातकों को जुलाई और अगस्त के दौरान किए गये टैक्स भुगतान की वापसी 18 अक्टूबर तक हो जाएगी। चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में वे नाममात्र 0.1 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर छूट वाली श्रेणी में काम करेंगे। एक अप्रैल से निर्यातकों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए ई-वॉलेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जीएसटी परिषद ने रेस्तरां के लिए जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के साथ एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री करने वालों को कंपोजिशन योजना के दायरे में लाने पर विचार के लिए मंत्री समूह बनाया है।