भाई बहने के इस रिश्ते में छिपा हैं ढेर सारा प्यार….
भाई बहन…. ये सुनने में भले ही दो शब्द हो लेकिन इन दो शब्दो में जो ताकत झिपी है, वो दुनिया के किसी भी रिश्ते की बराबरी नही कर सकती है। इस रिश्ते मे नोक-झोक, लडाई झगड़े, और प्यार सभी कुछ समाया होता है। एक भाई कभी बहन का बड़े या छोटे भाई का रोल निभाता है, तो कभी दोस्त बनकर उसके साथ हसी मजाक करता है, कभी एक पिता बनकर उसे सही राह पर चलने की सलाह भी देता है। ठीक वैसे ही एक बहन के लिए भी अपना भाई जान से प्यारा होता है। चलिए फिर आज रक्षा बंधन के मौके पर बताते है भाई बहन के रिश्तो की कुछ महत्वपुर्ण कहानिंया।
वैसे तो भाई बहन के रिश्ते को दर्शाने के लिए किसी त्यौहार की जरूरत नही होती, लेकिन हर त्यौहार का अपना एक महत्व होता है। माना जाता है की मकर संक्रांति के दिन भगवान श्री कृष्ण की छोटी उंगली कट गई थी। उनकी उंगली से खुन निकलते देख द्रोपदी ने अपनी साड़ी के कोने से एक टुकड़ा फाड़ कर श्री कृष्ण की उंगली में बांध दिया था। जिसके बदले में उन्होने द्रोपदी को अपनी बहन माना और उनकी रक्षा करने का वचन दिया।
इसी प्रकार माना जाता है की जब सिकंदर पूरे विश्व को फतेह करने निकला था और भारत आ पहुंचा था तब उसका सामना भारतीया राजा पुरु से हुआ था जिन्होने सिकंदर को धूल चटा दी थी। इस दौरान जब सिकंदर की पत्नी को भारतीया त्यौहार रक्षा-बन्धन के बारे में मालूम चला तो उन्होने अपने पति की जान बख्शने के लिए राजा पुरु के लिए राखी भेजी और राजा पुरु ने भी उनकी राखी का समान किया था।
इस प्रकार भारत में सदियों से चलती आ रही इन कथाओं का महत्तव आज भी देखा जाता है। रक्षा-बन्धन के दिन भाई-बहन के प्यार के बीच़ कोई धर्म-जाती नहीं आती है। देश भर में इस त्यौहार को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। भाई-बहन के इस त्यौहार को रक्षा-बन्धन के दिन भाई की कलाई में राखी बांध कर मनाया जाता है । चाहे दूरी कितनी भी हो, लेकिन बहन की राखी अपने भाई के पास पहुँच ही जाती है। वहीं अपनी बहन और परिवार से दूर, देश की सीमाओं में तेनात फौजि भाईयों को जब बहन राखी भेजती है तो उस राखी के साथ वह अपने भाई की रक्षा की मनोकामना भी करती है। उस एक राखी के साथ बहुत भावनाएँ जुड़ी होतीं हैं। फौज में रक्षा-बन्धन के दिन य़ुनिट के मंदिर में पूजा होती है और वहाँ के पंड़ित सभी सैनिको को राखी बाँधते हैं। साथ ही सैनिक बहनों द्वारा भेजी गई राखियाँ भी बंधवातें हैं। हर साल बोर्ड़र पर तैनात सैनिकों के लिए जो रक्षा-बन्धन के दिन भी देश की सुरक्षा के लिए अपना फर्ज निभा रहे होते हैं उनका मनोबल बढ़ाने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से छात्राएँ एवं महिलाएँ उनके लिए राखी भेजतीं हैं। साथ ही इस तरह वे सैनिकों का देश की रक्षा करने के लिए शुक्रियादा करतीं है। इस तरह अपनी बहनों से मीलों दुर होने के बाद भी सैनिक इस त्यौहार को उत्साह एवं उमंग से मनाते हैं। 15 अगस्त के दिन रक्षा बंधन होने पर इस बार रक्षा-बन्धन का मुहूर्त भी बहुत शुभ है। माना जाता है की जो भाई-बहन रक्षा-बन्धन के दिन रखी नहीं बन्धवा पाते हैं, वें जन्माष्टमी तक राखी बाँध सकते हैं।