दिल्ली: आज पूरे देश में क्रिसमस की धूमधाम है। क्रिसमस का नाम सुनते ही बच्चों के मन में सफेद और लंबी दाढ़ी वाले लाल रंग के वस्त्र तथा सिर पर फुनगी वाली टोपी पहने पीठ पर खिलौनों का झोला लादे बूढ़े बाबा ‘सांता क्लॉज’ की तस्वीर उभरने लगती है। लेकिन क्या आपको पता है बच्चो के घर घर जाकर गिफ्ट देने वाले सैंटा क्लॉज सिर्फ कहानियों में नहीं बल्कि सच में हुआ करते थे।
दरअसल ऑक्सफ़ोर्ड वैज्ञानिकों को फ्रांस में हड्डी का एक पुराना टुकड़ा मिला है, जिसके बारे में ऐसा बताया जा रहा है कि सेंट निकोलस से जुड़ा हुआ हो सकता है, जिसकी कहानी एक धार्मिक कथा के अनुसार सैंटा क्लॉज के रूप में प्रसिद्ध है।
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ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों ने हड्डी के इस टुकड़े को एक सूक्ष्म-नमूने पर रेडियोकार्बन परीक्षण के बाद इसकी खोज की. परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि हड्डी 1087 ईसवी की है। सेंट निकोलस के बारे में लोकप्रिय कहानियों में से एक कहानी 16 वीं शताब्दी की है, जिसमें उन्होंने फादर क्रिसमस बनकर लोगों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया था।
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कुछ देशों में, जैसे जर्मनी में बच्चों को 25 दिसंबर को मिठाई और छोटे उपहार नहीं मिलते हैं, जैसा बाकि देशों में क्रिसमस के दिन होता है। लेकिन संत निकोलस की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन 343 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हुई थी, जो अब तुर्की के नाम से जाना जाता है।
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सेंट निकोलस को रूढ़िवादी चर्च के सबसे महत्वपूर्ण संतों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे एक धनी आदमी थे, जो अपनी उदारता के लिए व्यापक रूप से जाने जाते थे और क्रिसमस पर सैंटा क्लॉस बनकर बच्चों को उपहार दिया करते थे। कई सालों से सेंट निकोलस के 500 अवशेषों को दुनिया भर के विभिन्न चर्चों द्वारा प्राप्त किया गया है, जिन्हें वेनिस के सेंट निकोलो चर्च में रखा गया है, लेकिन सवाल यह उठाता है कि हड्डियों के इतने सारे अवशेष को एक ही व्यक्ति से कैसे हो सकता है।