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निर्भया कांड के 6 साल बीत जाने के बाद आज भी समाज में कोई बदलाव नही!!!
(मनीषा नेगी)
दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 की वो सर्द रात जिसे आज भी कोई याद करता है तो सहम सा जाता है। उस जघन्य कांड को सहने वाली निर्भया के दर्द को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। आज ही के दिन सर्द की उस काली रात में कुछ दरिंदो ने निर्भया की आबरू को तार-तार कर उसे मौत के घाट उतार दिया। आज निर्भया के साथ हुए कांड को 6 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी लड़कियों के साथ हो रहे इस तरीके के अत्याचारों पर कोई बंदिश नही लगी है। हालांकि निर्भया कांड के बाद सभी ने यह सोचा था कि कुछ हद तक महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी,लेकिन अभी भी हमारे देश की स्थिती जस की तस बनी हुई है।
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बात अगर उत्तराखंड की करें तो पहले उत्तराखंड का अपराथ, हत्या और दुष्कर्म की घटनाओं के दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। लेकिन आज की स्थिती की हम बात करें तो अपराथ,हत्या,और दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देना उत्तराखंड में कुछ दरिंदों के लिए आम बात हो गई है। कभी एक बाप ही अपनी बेटी के साथ इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहा है तो कभी किसी लड़की के साथ राह चलता हुआ लड़का दुष्कर्म की घटना को अंजाम देता हैं। लेकिन फिर भी हमारा प्रशासन आंख मूंदे बैठा हैं।
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लगातार हो रही इस तरह की घटनओं से हमारी देवभूमि शर्मसार होती जा रही है। बता दें कि 2012 में पोक्सो कानून बनने के बाद उत्तराखंड में बेहताशा मुकदमे दर्ज हुए। इसमें पहले नंबर पर हरिद्वार, दूसरे पर देहरादून, तीसरे पर उधमसिंह नगर, चौथे पर नैनीताल है, जहां अपराध सबसे ज्यादा बढ़े हैं। अगर लगातार उत्तराखंड में भी लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देंगें तो एक दिन जरूर उत्तराखंड का नाम भी क्राइम की लिस्ट में सबसे ऊपर आ जाएगा।
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बता दें कि साल 2012 में देर रात कुछ दरिंदों ने निर्भया के साथ ऐसी दरिंदगी की जिसने पूरे देश के लोगों को झकझोर कर रख दिया था। निर्भया के साथ हुए जघन्य अपराध को लेकर इतना उबाल था कि हर कोई ‘देश की बेटी’ के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आया था।