Hate Speech को लेकर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, केंद्र सरकार को लगाई फटकार | Nation One
Hate Speech : नफरती भाषणों पर लगाम लगाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी की ओर से हेट स्पीच पर तुरंत रोक लगाने की आवश्यकता पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
Hate Speech : हेट स्पीच के कारण माहौल खराब
अदालत ने कहा कि हेट स्पीच के कारण माहौल खराब हो रहा है, किन्तु इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।
वहीं हेट स्पीच को लेकर याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बयान देने के लिए नफरती भाषा का इस्तेमाल किया गया था।
Hate Speech : व्यवसाय की तरह बन चुकी है हेट स्पीच
उन्होंने कहा कि आजकल अभद्र भाषा, फायदा पाने के लिए व्यवसाय की तरह बन चुकी है। याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलों में कश्मीरी हिन्दुओं के वीभत्स नरसंहार पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री किए जाने की बात कही।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के उन बयानों का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यक मारे गए।
वहीं CJI यूयू ललित ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस प्रकार के मामलों में सामान्य आपराधिक कार्यवाही करने की जरुरत है। इसके लिए हमें देखना होगा कि इसमें कौन शामिल है और कौन नहीं।
Hate Speech : हेट स्पीच देना साजिशों का हिस्सा
वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि हेट स्पीच देना एक तरह की साजिशों का हिस्सा है, इसे रोकने के लिए कुछ दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हेट स्पीच, एक तीर की तरह है, जो एक बार कमान से छूट जाए, तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता है।
वहीं CJI ललित ने कहा है कि, ‘ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए कोर्ट को तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की आवश्यकता है। हमें कुछ उदाहरण चाहिए। नहीं तो यह एक रैंडम याचिका जैसा है।’
इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी ओर से कहा कि उनकी ओर से नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देने वाला एक हलफनामा दायर किया जाएगा, जिसमें आपराधिक केस दर्ज नहीं किए गये थे।