NEWS : फिर एक्टिव हुए शराब माफिया, जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत | Nation One
NEWS : पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब की बिक्री नहीं रुक रही है। यहां एक बार फिर शराब माफिया एक्टिव हो गए हैं। मुजफ्फरपुर जिले में रविवार को जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है।
मृतकों की पहचान पोखरिया पीर निवासी उमेश साह (55) और पप्पू राम के रूप में हुई है। इस मामले में पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है।
NEWS : मुख्य आरोपी फरार
मृतकों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे तीन दिन पहले संदिग्ध जहरीली शराब पीकर घर लौटे थे, बीमार पड़ गए और इलाज के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती गई। पुलिस ने मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अवधेश दीक्षित के मुताबिक शराब की सप्लाई करने वाला फरार बताया जा रहा है। हालांकि, पुलिस ने की पत्नी और बेटी को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ जारी है।
दीक्षित ने कहा कि पासवान की तलाश की जा रही है, जो पहले भी शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में जेल जा चुका है।
NEWS : तीन लोगों की गई आंखों की रोशनी
जहरीली शराब पीने से कुल तीन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। आंखों की रोशनी खोने वाले धर्मेंद्र राम और राजू राम ने पुलिस को बताया कि उन्होंने शिवचंद्र पासवान से शराब खरीदी थी, जिनका परिवार अवैध कारोबार में शामिल है।
धर्मेंद्र और राजू ताड़ी पीने के लिए अक्सर एक स्थानीय बर्फ कारखाने के निकट स्थित पासवान के ठिकाने पर जाते थे।
घटना के दिन पासवान ने उन्हें बताया कि ताड़ी उपलब्ध नहीं है और उन्होंने एक नशीला मिश्रण “झमरुवा” पेश किया और वादा किया कि इससे उन्हें नशा आएगा।
NEWS : मोतिहारी में ज़हरीली शराब के सेवन से 27 लोगों की मौत
बता दें कि इस साल की शुरुआत में अप्रैल में बिहार के मोतिहारी में ज़हरीली शराब के सेवन से 27 लोगों की मौत हो गई थी। मौतों पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी।
साथ ही उन्होंने उनसे लिखित मांगा कि वे राज्य में वर्तमान में लागू शराब प्रतिबंध के पक्ष में हैं और वे शराब की लत के खिलाफ हैं।
NEWS : 2016 में नितीश कुमार सरकार ने की शराबबंदी
गौरतलब है कि 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह प्रतिबंध ताड़ी, महुआ और अन्य प्रकार के स्थानीय रूप से निर्मित नशीले पदार्थों पर भी लागू है।
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