कर्नाटक के उज्ज्वल भविष्य के वादे से पीछे नहीं हटेंगी सरकार: मोदी

कर्नाटक में पूर्ण बहुमत में थोड़ी कमी रहने के बावजूद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा सरकार बनाने से पीछे नहीं हटेगी। भाजपा में सुबह के जश्न के बाद दोपहर में थोड़ी मायूसी थी, लेकिन शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया। प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के लोगों को विश्वास दिलाया कि भाजपा राज्य के उज्ज्वल भविष्य के वादे से कभी पीछे नहीं हटेगी। भाजपा किसी को कर्नाटक की विकास यात्रा को रौंदने की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कर्नाटक की जनता व कार्यकर्ताओं का इस जीत के लिए अभिवादन भी किया।

दिन भर चले नतीजों के आगे पीछे होने के आंकड़ों के बाद भाजपा में कभी जश्न तो कभी मायूसी का माहौल रहा। मायूसी इस बात को लेकर कि पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका। लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने सबसे बड़े दल के नाते सरकार बनाने का दवा ठोकने के फैसले के बाद फिर से उत्साह आ गया। शाम को सूरज ढलते ही शाह व प्रधानमंत्री संसदीय बोर्ड के सदस्यों के साथ भाजपा मुख्यालय पहुंचे और वहां जमा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उनका इस जीत के साथ आगे की जीत के लिए भी आह्वान किया। शाह ने कहा कि यह ऐतिहासिक जीत हैं। हारने के बाद कांग्रेस के पीछे के दरवाजे से सत्ता हथियाने की कोशिश पर भी उन्होंने तीखा कटाक्ष किया।

प्रधानमंत्री ने सबसे पहले वाराणसी में निर्माणाधीन पुल के गिरने से हुए हादसे में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि एक तरफ कर्नाटक की जीत की खुशी, तो दूसरी तरफ वाराणसी के हादसे का दुख है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी से बातचीत की है और सभी जरूरी निर्देश दिए हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य की जनता ने गुमराह करने वालों व झूठ बोलने वालों को करारा जबाब दिया है। वहां पर विरोधी दलों ने भाजपा की ऐसी छवि बनाई कि वह हिंदी भाषी पार्टी है, लेकिन वे जब जनता के बीच गए तो लोगों ने न केवल खुश होकर सुना। बल्कि कहा कि वे जिस भाषा में बोलना चाहें बोलें।

पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा पर जताई चिंता

अपने संक्षिप्त भाषण में प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में हिंसा पर गहरा दुख और चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पहले जिस बंगाल को लेकर गर्व की अनुभूति होती थी, आज उसे राजनीति स्वार्थ के लिए लहुलुहान कर दिया गया है। वहां लोकतंत्र के सीने में गहरे घाव लगे हैं। इस स्थिति में सभ्य समाज व न्यायपालिका को भी कोई न कोई भूमिका लेनी होगी। उन्होंने साफ किया कि वे किसी दल की आलोचना नहीं कर रहे हैं, बल्कि लोकतंत्र को लेकर चिंतित हैं।

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