Kumbh 2021 : पूजा में मुख्यसचिव को देख चढ़ा संतों का पारा, कहीं ये बड़ी बात | Nation One
हरिद्वार में मुख्यमंत्री, सन्तो व गंगा सभा के संयुक्त रूप से गंगा पूजन किया गया, लेकिन गंगा पूजन से पूर्व ही संतो का पारा चढ गया। पूजन के दौरान मुख्य सचिव को मौके पर देख अखाड़ा परिषद ने आपत्ति जता दी।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव को गंगा पूजन में नहीं आना चाहिए था, क्योंकि उनके कारण ही पूरा मेला बिगड़ा है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को भी भ्रमित करने का कार्य किया था और उसी का नतीजा है कि आज मेले में किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मुख्य सचिव को लेकर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि यह हमारी परंपरा है, कुंभ के गंगा पूजन में ना तो मुख्य सचिव और ना ही कोई सचिव आता है। इस कार्यक्रम में केवल जिलाधिकारी व मेलाधिकारी को ही शामिल होना चाहिए था। वह गंगा पूजन में आए इससे हम नाराज नहीं है, बस उनसे हमारी नाराजगी का कारण है। उन्होंने संतो को बांटने की कोशिश की।
उनके द्वारा साफ शब्दों में कहा गया, संन्यासी अखाड़ों को कुंभ में जमीन नहीं मिलेगी। इस पद पर रहकर उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था। सन्यासी और वैष्णव संप्रदाय को कोई अलग नहीं कर सकता।
इसके साथ ही हमारे द्वारा उनको कहा गया था, मेले का स्वरूप बनाकर रखें। मगर उनके द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री को भी भ्रमित किया गया था। इसी कारण कुंभ मेले में अवस्थाएं देखने को मिल रही है। मूलभूत सुविधाएं किसी को नहीं मिल रही है।
मुख्य सचिव का पद काफी महत्वपूर्ण होता है, उनको समझना चाहिए अखाड़ा परिषद से उनकी आज तक कोई बैठक ही नहीं हुई। उनको बदलने का अधिकार संतो को नहीं है, यह मुख्यमंत्री के विवेक पर हैं और उन्हें भी दिखे मेले को कौन बिगाड़ रहा है, वह अपने विवेक का प्रयोग करें।
मुख्य सचिव के गंगा पूजन में शामिल होने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साधु-संतों का पारा चढ़ गया। मगर उसके बावजूद भी मुख्य सचिव गंगा पूजन में शामिल हुए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि मुख्य सचिव को पूजा में आने का अधिकार नहीं है और यह परंपरा पहले से चली आ रही है और उनसे नाराजगी का हमारा कारण है, जो उनके द्वारा कुंभ मेले का स्वरूप ही बिगाड़ दिया गया।
रिपोर्ट : वंदना गुप्ता