चमोली: उत्तराखंड में सरकार भले ही सबका साथ और सबका विकास की बात कर रही हो, लेकिन बात अगर उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों की करें तो वहां पर अभी तक विकास की कोई किरण नजर नहीं आई है। उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक भी सड़क नहीं बन पाई है और ना ही वहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बेहतर व्यवस्था हैं। ऐसे में अगर उन दूरस्थ गांवों में कोई बिमार हो जाता है तो उन्हें पैदल अस्पताल पहुंचाने में इतना अधिक समय लग जाता हेै कि कुछ लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
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कुछ ऐसा ही हाल चमोली जिले के सुदुरवर्ती गांव का है। जहां लकवे के शिकार शिकार 75 वर्षीय बुजुर्ग को ग्रामीण स्ट्रेचर पर 18 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क पर पहुंचे, जिसके बाद उन्हें वाहन के जरिये उपचार के लिए जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुंचाया। हालांकि, सड़क की स्वीकृति 2007 में ही मिल गई थी, लेकिन निर्माण में कोई प्रगति नहीं हो पाई। नतीजा ग्रामीणों को इलाज के लिए निकटतम अस्पताल तक जाने के लिए सड़क तक पहुंचना है तो 18 किलोमीटर पैदल ही चलना पड़ता है।
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डुमक गांव के लिए वर्ष 2007 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क मंजूर की गई थी, लेकिन 11 साल बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हो पाई है। गांव में चिकित्सा सुविधा न होने के कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को कुर्सी की पालकी बनाकर पैदल ही लाना पड़ता है। रविवार को गांव के 75 वर्षीय बाक सिंह को अचानक लकवा की शिकायत हो गई।