कोरोना वायरस से फैली महामारी इस कदर आम जनमानस को चपेट में ले लिया है कि समूची मानवता संकट में आ खड़ी हो गई है। चाहकर भी लोगों के हाथ मदद के लिए नहीं बढ़ पा रहे हैं। विपत्ति की इस घड़ी में सरकार और उसकी व्यवस्था की तो हाल ही मत पूछिए।
जी हां सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ मानवता पर सवाल खड़ा करने वाला यह मामला अमेठी तहसील एवं कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत भेंटुआ चौराहे से प्रकाश में आया है।
जहां पर गौरी मिश्र का पुरवा के रहने वाले राम राज मिश्रा के पांच बेटों में सबसे छोटा बेटा अरुण मिश्रा नोएडा में रहता था अभी वह 2 दिन पहले गांव आया था तभी उसको बुखार आने लगा।
पिता ने गांव के ही व्यक्ति से बड़ी मेहनत कर दोपहर 11:30 बजे मोटरसाइकिल से बेटे को इलाज के लिए चौराहे पर एक झोलाछाप डॉक्टर के यहां लेकर गए, जहां पर डॉक्टर ने खून की जांच में लिख दीया जिसको कराने के लिए पिता मुंशीगंज चला गया।
जब वह वापस 3:00 आए तब पता चला कि दोपहर 12:00 बजे वह कुर्सी पर बैठे थे और अचानक गिर पड़े तब से उठे नहीं जब पिता ने पलटकर देखा तब पुत्र की मृत्यु हो चुकी थी। रोता बिलखता पिता लगातार लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा लेकिन लोगों के जेहन में कोरोनावायरस का भय इस कदर समा चुका है की कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।
लगभग 7 घंटे इसी तरह से लाश पड़ी रही और सबसे बड़ी बात तो यह रही कि इस बीच मृतक के गांव और परिवार से भी मौके तक कोई नहीं आया हालांकि स्थानीय लोगों ने लगातार स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को सूचना दी लेकिन 6 घंटे के बाद डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर लिया।
मौके पर मौजूद टीवी चैनल के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के द्वारा जब शाम 7:00 बजे एसडीएम अमेठी महात्मा सिंह से इस विषय में वार्ता की गई तब उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा 2 घंटे पहले ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक अभिमन्यु वर्मा को फोन कर पीपीई किट के साथ एंबुलेंस की सुविधा मुहैया कराने के लिए कहा गया था ।
एसडीएम के आदेश के 2 घंटे बीत जाने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। आखिरकार देर रात स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजी गई एंबुलेंस पीपी किट लेकर पहुंची।
जहां पर मृतक के साले सोनू दुबे ने बताया कि मृत्यु के 8 घंटे बीत जाने के बाद देर रात स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस के साथ मौके पर पहुंची और उसने तत्काल पीपीई किट पिता और रिश्तेदार को देकर चलती बनी।
ऐसे में मृतक के पिता और रिश्तेदारों के साथ पत्रकार ने मानव धर्म निभाते हुए किसी तरह से अरुण की लाश उठाकर ट्रैक्टर पर लादवाकर गाँव भिजवाया।
अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट