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हरक को फिर झटका, करीबी अफसर दमयंती को एईओ पद से हटाया | Nation One
देहरादून : प्रदेश सरकार ने श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को और एक झटका दिया है. उत्तराखंड भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाने के बाद अब बोर्ड के अपर कार्याधिकारी (एईओ) पद पर तैनात उनकी करीबी अधिकारी दमयंती रावत को भी चलता कर दिया गया है. दमयंती रावत को उनके मूल विभाग शिक्षा में वापस भेजा गया है. शिक्षा विभाग में पहले से ही उनके खिलाफ जांच भी लंबित बताई जा रही है.
दमयंती को बोर्ड के अपर कार्याधिकारी (कामचलाऊ सचिव) के पद से हटाने के आदेश बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की ओर से जारी किए गए हैं. आदेश में कहा गया कि बोर्ड का पुनर्गठन होने के फलस्वरूप दमयंती रावत को पदमुक्त किया गया है. श्रम मंत्री की वजह से ही उन्हें श्रम महकमे में बोर्ड में 27 दिसंबर, 2017 को प्रतिनियुक्ति दी गई थी.
बोर्ड का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद इसका पुनर्गठन किया गया है. इसके बाद पहले अध्यक्ष और फिर अपर कार्याधिकारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इस मामले के और तूल पकडऩे का अंदेशा भी गहरा गया है. आदेश में दमयंती रावत को मूल शिक्षा विभाग में पहले की स्थिति के अनुसार योगदान देने को कहा गया है.
दमयंती रावत इस प्रतिनियुक्ति से पहले शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी के पर तैनात थीं. उन्हें इसी पद पर पिथौरागढ़ स्थानांतरित किया गया था. शिक्षा महकमे की चर्चित अधिकारी रहीं दमयंती रावत लंबे समय तक तैनाती स्थल से गैर हाजिर रह चुकी हैं.
पिथौरागढ़ जिले में तैनाती के आदेश का उल्लंघन करने के मामले में वर्ष 2018 में उनके खिलाफ जांच का जिम्मा सरकार ने अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी को सौंपा था. इसी वजह से शिक्षा विभाग ने भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अपर कार्याधिकारी (एईओ) के रूप में प्रतिनियुक्ति के लिए उन्हें पहले अनापत्ति नहीं दी थी. बताया गया कि बाद में श्रम मंत्री की वजह से ही उन्हें अनापत्ति मिल पाई थी.
दरअसल दमयंती रावत एक साल से ज्यादा अरसे तक बगैर बताए गैर हाजिर रहीं थीं. इस सिलसिले में विभाग की ओर से उन्हें आरोप पत्र दिया गया था. तैनाती स्थल पर लंबे समय तक कार्यभार ग्रहण नहीं करने की वजह से उनके खिलाफ महकमे में जांच लंबित है. संपर्क करने पर शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि दमयंती रावत के कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही उनकी तैनाती के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.