Uttarakhand में बाहरी वाहनों पर लगेगा ‘ग्रीन सैस’ टैक्स, धामी सरकार का बड़ा फैसला!
Updated: 10 June 2025Views: 40
Uttarakhand : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने एक अहम और ऐतिहासिक फैसला लिया है। राज्य में अब बाहर से आने वाले चार पहिया और भारी वाहनों पर ग्रीन सैस टैक्स वसूला जाएगा। यह निर्णय राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और पहाड़ी क्षेत्रों को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। इस योजना को 15 जून 2025 से पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
Uttarakhand : टैक्स की वसूली कैसे होगी?
बाहरी राज्यों से
उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले वाहनों पर यह टैक्स
Fastag के माध्यम से स्वत: वसूला जाएगा। सीमाओं पर लगाए गए
ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे वाहनों की पहचान करेंगे और वाहन का नंबर राज्य की लिस्ट से बाहर पाए जाने पर निर्धारित राशि Fastag से कट जाएगी। सरकार ने यह भी साफ किया है कि एक बार टैक्स कटने के बाद 24 घंटे तक उसी वाहन से दोबारा टैक्स नहीं वसूला जाएगा। यानी अगर कोई वाहन दिन में एक बार राज्य में आता है, तो 24 घंटे के भीतर दूसरी बार आने पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा।

Uttarakhand : कौन-कौन वाहन भरेंगे ग्रीन टैक्स?
वाहन का प्रकार | ग्रीन सैस (₹) प्रतिदिन |
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ऑटो रिक्शा | ₹20 |
प्राइवेट कार/ SUV | ₹40 |
मध्यम मालवाहक वाहन | ₹60 |
भारी वाहन / ट्रक (7 टन से ऊपर) | ₹80 - ₹250 तक |
डिलीवरी वैन/मिनी ट्रक | ₹80 |
बस (12 सीटों से ऊपर) | ₹140 |
वाणिज्यिक और भारी वाहन जिनका भार ज्यादा है, उनसे ज्यादा टैक्स वसूला जाएगा ताकि ट्रैफिक और प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
Uttarakhand : किन्हें मिलेगी छूट?
यह टैक्स सभी वाहनों पर लागू नहीं होगा। जिन वाहनों को छूट दी गई है, उनमें शामिल हैं:
- उत्तराखंड में रजिस्टर्ड सभी वाहन
- दोपहिया वाहन
- CNG और इलेक्ट्रिक वाहन
- आपातकालीन सेवाओं से जुड़े वाहन (जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड)
- सरकारी विभाग के वाहन
- सेना और अर्धसैनिक बलों के वाहन
- कृषि कार्य में लगे विशेष वाहन
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में लगातार बढ़ते वाहनों की संख्या को नियंत्रित करना है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। यही कारण है कि सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इस साहसिक कदम को उठाया है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस योजना से मिलने वाली राशि को ग्रीन फंड में जमा किया जाएगा और इसका इस्तेमाल राज्य की हरियाली बढ़ाने, सड़क सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण और पारिस्थितिकी संरक्षण के कार्यों में किया जाएगा। परिवहन विभाग ने इस टैक्स की वसूली के लिए पूरी व्यवस्था डिजिटल प्लेटफॉर्म पर तैयार की है। राज्य की सीमाओं पर हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं, जो वाहन नंबर की पहचान करके संबंधित Fastag से राशि काटेंगे। इसमें नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की तकनीकी मदद ली गई है।

️Uttarakhand : पर्यटन पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तराखंड एक प्रमुख पर्यटन राज्य है, ऐसे में यह टैक्स पर्यटकों को थोड़ा प्रभावित कर सकता है। लेकिन सरकार का मानना है कि पर्यावरण की रक्षा करना ज़्यादा महत्वपूर्ण है। साथ ही यह टैक्स बहुत मामूली रखा गया है ताकि यात्रियों पर ज्यादा भार न पड़े। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे लंबे समय से जरूरी कदम बताया है। धामी सरकार का यह फैसला साफ संकेत देता है कि उत्तराखंड अब केवल पर्यटन का केंद्र नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में भी अग्रसर राज्य बन चुका है। ग्रीन टैक्स जैसी योजनाएं न सिर्फ प्रदूषण पर रोक लगाएंगी बल्कि राज्य की प्राकृतिक धरोहरों को अगली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
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