फुल अटेंशन देने से रिजल्ट मिलता है, पढ़े पूरी खबर | Nation One
कार्य पर फुल अटेंशन देने से रिजल्ट मिलता है। रिजल्ट लेने के लिए अपने कार्य के अलावा अन्य बातों से बुद्धि का ध्यान हटाना होता है। यह प्रक्रिया याद अथवा ध्यान की है अर्थात अनेक तरफ तोड़, एक तरफ जोड़ने का साधन है।
अपने कर्म के अलावा अन्य कर्म से अतीत हो जाना, कर्मातीत की स्टेज है। इस स्टेज को आत्मिक स्टेज, अव्यक्त स्टेज और फरिश्तेपन की स्टेज कहते हैं।
सर्वोच्च शक्ति से अपना सम्बन्ध में जोड़ लेने पर हमारे पास डबल शक्ति प्राप्त हो जाती है। जब सर्वोच्च शक्ति की खास अटेंशन रखते हैं तब यह अटेंशन हमारे सफलता का आधार बन जाता है। यदि हम साधारण भी कर्म कर रहे हैं तब बीच-बीच में सर्वोच्च शक्ति से प्राप्त करने के लिए अटेंशन रखने पर हमको डबल फोर्स मिल जाता है। जब कोई हमारे साथ सदैव साथ रहता है तब साथ रहने के कारण उसकी याद स्वतः बनी रहती है।
साथी रहने से बुद्धि को निरन्तर सत का संग हमें सतसंग में रखता है। निरन्तर अपने को सतसंगी बनाने से हमारी याद सहज बनी रहती है और पावरफुल संग में रहने से हमारे कर्तव्य डबल फोर्स मिलता रहता है। डबल फोर्स मिलने के कारण जो कार्य स्थिति के हिसाब से मुश्किल समझते हैं वह सहज लगने लगता है।
इस अवस्था में एक कर्तव्य के साथ डबल कर्तव्य हो जाता है। इससे कई लाभ होता है, एक तो सहज याद रहती है, दूसरा कार्य में सफलता मिलती है और तीसरा उमंग उत्साह में रहकर सहयोग की प्राप्ति होती है।
सभी लोग प्रश्न करते हैं मूल समस्या यह है कि याद कैसे करें और याद में कैसे ठहरें। इसके लिए विशेष अभ्यास करना होता है। एक के अलावा कोई संग बुद्धि में नहीं रहना चाहिए। यदि एक के साथ सर्व का रिश्ता है तब हम सहज फरिश्ते हैं। ऐसी स्थिति में सर्व सम्बन्ध, सर्व रिश्ते और सर्व रास्ते ब्लाॅक हो जाते हैं।
रास्ता खुला होगा तब उस तरफ बुद्धि जरूर भागेगी। जब सर्व से रिश्ते खत्म होंगे तब बुद्धि के सभी रास्ते भी बंद होंगे। जरा भी रास्ता खुला होने पर बुद्धि उसी तरफ जाने का प्रयास करेगी। जब पूरी तरह से रास्ता बन्द होगा तब बुद्धि कहां जायेगी। सुराग भी होगा तब लोग उसमें से भी निकलने का प्रयास करेंगे।
एक ब्लाॅक में बुद्धि को लगाने पर अन्य सभी रास्ते ब्लाॅक हो जायेंगे। जब कोई दूसरा रास्ता खुला रहता है तब सहज कार्य भी मुुश्किल लगता है। अभी कहां-कहां रास्ता खुला हुआ है, इसको चेक करने के लिए बुद्धि को मेहनत करने के कारण थकान का अनुभव होता है। इसलिए सफलता की सहज विधि है कि सभी रास्ते बन्द कर दें तब मुश्किल से छूट जायेंगे।
अपने को बच्चा समझने पर जिम्मेदारी के बोझ से बच जाते हैं। बचपन की स्मृति मुश्किल को सहज बना देती है। इस भाव में परमात्मा का साथ है और उसके हाथ में हाथ है। यदि किसी बड़े के हाथ में हाथ होता है तब छोटा बेफिक्र रहता है। जीवन का हाथ उसके हवाले कर, जिम्मेदारी सौंपकर बेफिक्र बन जायें। अपना सभी बोझ परमात्मा को देकर स्वयं हल्के हो जायें। यह अनेक तरफ तोड़ एक तरफ जोड़ने का साधन है।
जितना शुद्ध संकल्प अपने मन बुद्धि में रखकर बिजी रहेंगे, शक्तियां जमा करते रहेंगे। हम भले ही निमित्त हैं लेकिन हमारा भी बैकबोन है। बिना बैकबोन अथवा गाड फादर की सफलता नहीं मिलती है। यह कठिन योग नहीं है बल्कि सहज योग है।
मनोज श्रीवास्तव
विधानसभा, देहरादून