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Corona : ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ रहा प्रभाव, पढ़ें पूरी खबर | Nation One
कोरोना महामारी ने दुनियाभर की कई चीजों पर फुलस्टॉप लगा दिया। फिर चाहे वो टूरिस्ट प्लेस घूमना हो या स्कूल-कॉलेज के बच्चों की पढ़ाई। बढ़ते कोरोना के चलते बच्चे को अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हो गए हैं।
स्कूल- कॉलेज लंबे समय से बंद हैं। सभी बच्चे घरों से ही ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं। बच्चे घर से ही लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल के जरिए अपने स्कूल से जुड़े हुए हैं।
लेकिन ऑनलाइन क्लासेस का ये फॉर्मूला पूरी तरह से सफल साबित नहीं हो रहा है। इससे बच्चों को कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इसी सिलसिले में अमृत विचार की आंखों के स्पेश्लिस्ट डॉ. वीपी शर्मा से खास वर्ता हुई। डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि लगातार लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल के इस्तमाल से आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है। समय से पहले बच्चों के चश्मा लगता जा रहा है। इसके साथ ही मानसिक विकास भी नहीं हो रहा।
डॉ. वीपी शर्मा ने कहा कि स्कूल बंद होने से ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा हुआ था, लेकिन अब मोबाइल की लत नुकसानदायक है।
बहुत से बच्चे इन दिनों आंखों में दबाव पड़ने और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं। बहुत से बच्चों के स्वभाव में भी पिछले कुछ समय में चिड़चिड़ापन आया है।
ऑनलाइन व्यवस्था से बच्चों के पेरेंट्स काफी चिंतित हैं। लखनऊ में रहने वाली पूनम ने बताया कि उनका बच्चा स्कूल की क्लास या कोचिंग की क्लास के बाद कभी पढ़ाई तो कभी किसी अन्य बहाने से फोन पर लगा रहता है। टोकने पर चिड़चिड़ेपन के साथ उसका व्यवहार आक्रामक हो जाता है।
वहीं जब साकेत नगर कानपुर की रहने वाली सपना सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चों को पढ़ाई का सही महौल नहीं मिल पा रहा।
मोबाइल में बच्चा इतना व्यस्त रहता कि खाना तक समय से नहीं खाता। उनका कहना है कि ऑनलाइन क्लास के कारण उनके बच्चे में अनिद्रा और चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं।
महामारी के चलते ऑनलाइन क्लास में अगर बच्चा ज्यादा समय तक स्क्रीन के सामने बैठा है तो उसके सोने के टाइम का भी पर्याप्त ध्यान रखें।
बच्चों के कंधों, पीठ और आंखों में दर्द होने लगा है तो पीठ व कंधों पर तेल लगाकर मालिश भी की जा सकती है।
कम्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर ब्लू स्क्रीन लगाएं। इसके साथ ही अभिभावक बच्चे के साथ अधिक समय बिताएं।