Uttarakhand : उत्तराखंड सरकार ने राज्य में हो रहे डेमोग्राफिक चेंज यानी जनसांख्यिकीय बदलावों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक संतुलन और स्थानीय युवाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए अब कठोर और निर्णायक फैसले लिए जाएंगे।
इसी कड़ी में एक नया आदेश जारी किया गया है, जिसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने का निर्देश है। धामी सरकार का यह कदम राज्य में बदलते जनसंख्या स्वरूप और बाहरी लोगों की बेतरतीब बसावट को रोकने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
हाल ही में कई जिलों से रिपोर्ट आई थी कि बाहरी राज्यों के लोग बड़ी संख्या में आकर यहां बस रहे हैं, जिससे न केवल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक संरचना भी प्रभावित हो रही है।
Uttarakhand : क्या है नया आदेश?
सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत अब किसी भी प्रकार की भूमि खरीद, व्यापारिक स्थापना या ठेकेदारी में स्थानीय प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा सरकारी और अर्ध-सरकारी योजनाओं में स्थानीय युवाओं को कम से कम 70% आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है।
राज्य में रोजगार की नई योजनाएं जैसे “मुख्यमंत्री ग्राम युवा स्वरोजगार योजना” और “उत्तराखंड युवा उद्यमिता मिशन” को और सशक्त किया जा रहा है। इनमें न सिर्फ फंडिंग और ट्रेनिंग दी जाएगी, बल्कि युवाओं को सीधे सरकारी परियोजनाओं से जोड़ने की भी योजना है।
Uttarakhand : डेमोग्राफिक संतुलन पर चिंता
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता को बचाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “राज्य किसी को भी नफरत की निगाह से नहीं देखता, लेकिन जनसंख्या असंतुलन और पहचान के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
सरकार अब उन क्षेत्रों को चिन्हित कर रही है जहां बाहरी प्रवासियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है, ताकि वहां नियमन और निगरानी की व्यवस्था की जा सके।
हालांकि विपक्षी दलों ने इसे एक “चुनावी स्टंट” करार दिया है, लेकिन राज्य के युवाओं और सामाजिक संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है। युवाओं का मानना है कि यदि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलते हैं, तो पलायन की समस्या भी काफी हद तक कम होगी।
Uttarakhand : सरकार की रणनीति क्या है?
आने वाले महीनों में सरकार द्वारा ‘जनसंख्या सर्वे अभियान’ चलाए जाने की योजना है, जिसमें अस्थायी और स्थायी निवासियों की पहचान की जाएगी। इसके अलावा पंचायत स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा जो बाहरी निवासियों की गतिविधियों पर नज़र रखेंगी।
धामी सरकार का यह कदम उत्तराखंड की आत्मा और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक निर्णायक पहल के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना यह है कि यह योजना ज़मीन पर कितनी असरदार साबित होती है।
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