डोईवाला सामुदायिक अस्पताल बचाने के लिए मौन व्रत

डोईवाला


डोईवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को निजी संस्था के हवाले किए जाने के खिलाफ अस्पताल परिसर में 14वें दिन भी धरना जारी रहा। क्षेत्रवासियों ने सरकार के फैसले के खिलाफ दो घंटे का मौन रखा। श्री गुरु सिंह सभा डोईवाला ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।

मौन के बाद सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार जब डोईवाला अस्पताल में एक करोड़ 65 लाख रुपये का बजट देने की घोषणा कर रही है, तो यहां निजी संस्था के चिकित्सकों की सेवाएं लेने की क्या जरूरत है। सरकार अपने ही डॉक्टरों को अस्पताल में क्यों नहीं तैनात करती। सभा में युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि डोईवाला के अस्पताल में हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सकों की तैनाती का फैसला डोईवाला के हितों के खिलाफ है। हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सकों के यहां सेवाएं देने से डोईवाला अस्पताल उसके रैफरल काउंटर की तरह काम करने लगेगा। जब अधिकतर मरीजों को हिमालयन हॉस्पिटल की ही सेवाएं लेनी हैं, तो इस अस्पताल के उच्चीकरण का क्या औचित्य है। ऐसे में इस अस्पताल पर खर्च होने वाले भारीभरकम बजट का यहां के लोगों को लाभ नहीं मिल सकेगा, क्योंकि यहां से रैफर होने वाले मरीजों को हिमालयन हॉस्पिटल के ही खर्चे झेलने होंगे। सरकारी धन से संसाधन हासिल करने वाले इस अस्पताल में हिमालयन हॉस्पिटल का दखल नहीं होना चाहिए।

नेगी ने बताया कि श्री गुरु सिंह सभा के पदाधिकारियों हरपाल सिंह सैनी, इंद्रजीत सिंह, जसविंद्र सिंह, गुरुपाल सिंह, गुरुबचन सिंह ने आंदोलन को समर्थन दिया है। धरने पर मनमोहन नौटियाल, गोपाल सिंह, अर्जुन बिष्ट, राजवीर सिंह, महिपाल सिंह रावत, संजय सिंह, सुमित वर्मा, जयकिशोर, अख्तर हसन, खुशीराम चमोली, पूरण चंद पाठक, दुर्गादत्त बंगवाल आदि बैठे।

 

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