काले रंग का ऑटो शहर में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। यह कहना है एआरटीओ श्यामलाल का। इसके अलावा उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाले ऑटो रिक्शा जिनका जीवनकाल 10 वर्ष एवं शहरी क्षेत्रों में संचालित होने वाले ऑटो रिक्शा जिनका जीवन का 7 वर्ष और विद्यालय से संचालित होने वाली बसें जिनका जीवनकाल 15 वर्ष पूरा हो चुका है, अब ऐसे वाहन सड़कों पर नहीं चल सकते।
पिछले दिनों मौसम विभाग की एक वैन तहसील परिसर में आई थी, जिसने वहां प्रदूषण का स्तर 355 बताया था। जो मानक से बहुत अधिक है और इसके लिए कहीं न कहीं ऐसे तमाम वाहन जिम्मेदार हैं जो अपनी आयु पूरी कर लेने के बाद भी सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं।
शहर में इनको जगह जगह सड़कों पर देखा जा सकता है। संभागीय परिवहन कार्यालय की उदासीनता का आलम यह है कि उसे फुर्सत ही नही की शहर के लोगों के जीवन से खिलवाड़ करते इन तेज़ रफ़्तार ज़हरीला धुंआ उगलते अपनी आयु पूरी कर चुके और नियम विरुद्ध चलने वाले अवैध काले ऑटो पर लगाम लगा सके ।
वहीं इस सम्बंध में जब एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा ने बताया कि काली टेंपो शहर में चलने के लिए पहले से प्रतिबंधित है। लेकिन कुछ काले टेंपो के ड्राइवर अपना टेंपो शहर में चलाते हैं जिस पर प्रभावी अंकुश लगाते हुए विभिन्न स्थानों पर टीएसआई की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा कि कोई भी काली ऑटो शहर के अंदर नहीं चलेगी जो चलाएगा उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही किया जाएगा।